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सारा आकाश पटकथा

राजेंद्र यादव और बासु चटर्जी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14267
आईएसबीएन :9788126714452

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बेहद पठनीय और हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासों में से एक सारा आकाश चालीस संस्करणों में आठ लाख प्रतियों से ऊपर छप चुका है

सारा आकाश आजाद भारत की युवा-पीढ़ी के वर्तमान की त्रासदी और भविष्य का नक़्शा। आश्वासन तो यह है कि सम्पूर्ण दुनिया और सारा आकाश तुम्हारे सामने खुला है - सिर्फ तुम्हारे भीतर इसे जीतने और नापने का संकल्प हो - हाथ-पैरों में शक्ति हो... मगर असलियत यह है कि हर पाँव में बेड़ियाँ हैं और हर दरवाजा बंद है। युवा बेचैनी को दिखाई नहीं देता कि किधर जाए और क्या करे। इसी में टूटता है उसका तन, मन और भविष्य का सपना। फिर वह क्या करे - पलायन, आत्महत्या या आत्मसमर्पण? आजादी के पचास बरसों ने भी इस नक्शे को बदला नहीं - इस अर्थ में सारा आकाश ऐतिहासिक उपन्यास भी है और समकालीन भी। बेहद पठनीय और हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासों में से एक सारा आकाश चालीस संस्करणों में आठ लाख प्रतियों से ऊपर छप चुका है, लगभग सारी भारतीय और प्रमुख विदेशी भाषाओं में अनूदित है। बासु चटर्जी द्वारा बनी फ़िल्म सारा आकाश (हिन्दी) सार्थक कलाफिल्मों की प्रारम्भकर्ता फ़िल्म है।

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