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कविता संग्रह >> ताओ ते चिंग

ताओ ते चिंग

लाओत्से

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :116
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14326
आईएसबीएन :9788126716012

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ताओ का मार्ग हमें दिखाता है कि ब्रह्मांड और हमारे अंतरलोक की ऊर्जाएँ परस्पर कैसे प्रतिबिंबित होती हैं।

‘ताओ जिसे परिभाषित किया जा सके, शाश्वत ताओ नहीं।’ यह शब्द संसार के धार्मिक साहित्य में सर्वाधिक लोकप्रिय है। ताओ-ते-छिङ के इक्यासी अध्याय ढाई हज़ार वर्ष पूर्व हमारे समीपवर्ती राष्ट्र, चीनी जनसमूह को संबोधित थे। ये इक्यासी अध्याय बाइबल, भागवत गीता, क़ुरान आदि की तरह बहुत-सी भाषाओं में अनूदित हुए हैं। ताओ का मार्ग हमें दिखाता है कि ब्रह्मांड और हमारे अंतरलोक की ऊर्जाएँ परस्पर कैसे प्रतिबिंबित होती हैं। धूलिकण के समान तुच्छ होते हुए भी हम उस विराट का भाग हैं। दर्शन के अभाव में जीवन- यापन करते हुए हम स्वयं सरल मूल्यों को जटिल बनाकर जीवन प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करते हैं। ताओ-ते-छिङ मनुष्य की आध्यात्मिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, दैनिक-दैहिक स्थिति-परिस्थितियों का सूक्ष्म अध्ययन है। यह मनुष्य की योग्यता के उन स्तरों का आग्रह करता है जो सामान्यतः हमारे बोध का हिस्सा नहीं हैं। यह पुस्तक धार्मिक व सामाजिक कर्मकाण्डी विलक्षणताओं से उपजी समस्याओं के सरलीकरण की अद्भुत सूक्तियाँ उपलब्ध कराती है, साथ ही वर्तमान में पश्चिमी संस्कृति की देन तर्कमूलक चिंतन के औचित्य को प्रश्नचिद्दित करते हुए मनुष्य के जीवन की सार्थकता का आह्नान करती है।

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