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टेलीविजन और क्राइम रिपोर्टिंग

वर्तिका नंदा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14332
आईएसबीएन :9788126719433

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यह पुस्तक मीडिया जगत की सूक्ष्म और बारीक चीजों को भी पाठकों तक पहुंचाएगी।

टेलीविजन और क्राइम रिर्पोटिंग वर्तिका नंदा की यह किताब हिंदी पत्रकारिता के गंभीर अध्येताओं, विशेषकर टीवी पत्रकारिता के छात्रों के लिए, अपराध पत्रकारिता के अनेक आयाम उजागर करनेवाली पठनीय सामग्री देती है। आज के भाषाई समाचार जगत में अपराध संवाददाता की भूमिका, उसके लिए खबरों के सही स्रोत और प्रस्तुति के तरीके क्या हों? टीवी के न्यूज़रूम में अपराध विषयक खबरें किस तरह अंतिम आकार पाती हैं? टीवी के लिए अपराध से जुड़े समाचारों को किस तरह से लिखा जाना चाहिए? उसका तकनीकी पक्ष, साक्षात्कार तथा एंकरिंग की दृष्टि से उनका सही नियामन तथा प्रसारण कैसा हो? - इस सब पर अपने लंबे अनुभवों की मदद से लेखिका ने सिलसिलेवार तरीके से प्रकाश डाला है। पुस्तक के अंत में दिए गए टीवी स्क्रिप्ट के कुछ नमूने तथा उनसे जुड़ी शब्दावली का समावेश पुस्तक की उपादेयता को बढ़ाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्राप्त वर्तिका नंदा के स्तंभ, उनकी पृष्ठभूमि, मीडिया में व्यावहारिक अनुभव और अध्यापन सम्पन्न है। मीडिया के तीनों सशक्त माध्यमों - इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और रेडियो में उन्होंने काम किया है। खासतौर से मीडिया पर उनके स्तंभ अत्यंत सूचनाप्रद और विचारपरक होते हैं। आज मीडिया में कैरियर की अनन्त सम्भावनाएं और अवसर हैं। यह पुस्तक मीडिया जगत की सूक्ष्म और बारीक चीजों को भी पाठकों तक पहुंचाएगी। उनकी दोनों भूमिकाएं (पत्रकारिता ़ अध्यापन) इस पुस्तक को विशिष्ट, अलग और महत्त्वपूर्ण बनाती हैं। मीडिया जगत के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए नहीं, बल्कि पत्रकारिता जगत में रुचि रखनेवाले सामान्य पाठकों के लिए भी।

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