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वन तुलसी की गंध

फणीश्वरनाथ रेणु

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14368
आईएसबीएन :9788126714476

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फणीश्वरनाथ रेणु के संस्मरण

वन तुलसी की गन्ध

रंग-बिरंगी ज़िन्दगियों की पृष्ठभूमि में छिपे मनुष्य के अविरत संघर्ष, उसके दुःख-सुख और उसकी करुणा को रेणु ने जिस गहन तल्लीनता से अपने कथा-साहित्य में चित्रित किया है, वह निश्चय ही हिन्दी साहित्य की अमिट उपलब्धि है। किन्तु इस उपलब्धि तक पहुँचने में रेणु ने जिन व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण की है, उनके बारे में रेणु क्या सोचते थे। यह जिज्ञासा रेणु के पाठकों के मन में वर्षों से रही है और इस बात की गहरी आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि इधर-उधर बिखरे उनके रेखाचित्रों का व्यवस्थित संग्रह प्रकाशित हो। ‘वन तुलसी की गन्ध’ इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आपके हाथों में है।

इस संग्रह के पहले खंड में यशपाल, अज्ञेय, अश्क, जैनेन्द्र, उग्र, कामताप्रसाद सिंह ‘काम’ और त्रिलोचन पर लिखे रेखाचित्र हैं। ये सभी रेणु से वरिष्ठ हिन्दी लेखक हैं। दूसरे खंड में बालकृष्ण ‘सम’, सुहैल अजीमाबादी, रवीन्द्रनाथ अंकुर, हंग्री जेनेरेशन के कवियों एवं सतीनाथ भादुड़ी पर लिखे रेखाचित्र हैं। ये क्रमश: नेपाली, उर्दू एवं बांग्ला के लेखक हैं। तीसरे खंड में उन रेखाचित्रों को रखा गया है, जो साधारण पात्रों पर लिखे गए हैं। साथ ही इस खंड में रेणु की पहली कहानी के ‘बट बाबा’ भी उपस्थित हैं—जटाजूट लटकाए...‘योगी वृक्ष’—ठीक रेणु की तरह—‘एक महान महीरुह’...ऋषितुल्य, विराट...!

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