लोगों की राय

संस्मरण >> जिंदा होने का सबूत

जिंदा होने का सबूत

जाबिर हुसैन

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :151
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14412
आईएसबीएन :9788126723652

Like this Hindi book 0

जिन पाठकों ने जाबिर हुसेन की पिछली डायरियां पढ़ी हैं, उन्हें इस संकलन का नया कथा–शिल्प ज़रूर पसंद आएगा।

लोग कहते हैं, सूरज को अंधेरी खाई में गिरते देखना अशुभ है।’ ‘अंधेरी खाई में कहां गिरता है सूरज! वह तो बस एक करवट लेकर हरे–भरे खेतों में उगी प़फसलों के बीच छिप जाता है, कुछ घंटों के बाद दोबारा अपना सफर शुरू करने के लिए।’ एक बार, आसमान पर छाये बादलों के एक आवारा टुकड़े ने खेतों की गोद में गिरते सूरज को पूरी तरह अपनी मुट्ठियों में बंद कर लिया था। हम दोनों कुछ लम्हों के लिए कांप गए थे। हमारे शहर का सूरज डूबने के पहले ही काले धब्बों की ओट में छिप गया था। मुझे नहीं मालूम, उस दिन और क्या हुआ था, पर मेरी और तुम्हारी आंखों ने कुछ लम्हों के बाद ही देखा कि सूरज आवारा बादलों की मुट्ठी से निकलकर दोबारा आसमान और ज़मीन जहां मिलते हैं, वहां दूर–दूर तक पैफल गया और इसकी लाल–सुर्ख किरणों ने पूरे क्षितिज को अपने विशाल दायरे में समेट लिया। जिन पाठकों ने जाबिर हुसेन की पिछली डायरियां पढ़ी हैं, उन्हें इस संकलन का नया कथा–शिल्प ज़रूर पसंद आएगा। आवरण पर मक़बूल फिदा हुसेन की प्रसिद्ध कला–कृति ‘सफदर हाशमी’ साभार प्रकाशित की जा रही है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book