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योग निद्रा

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

प्रकाशक : योग पब्लिकेशन्स ट्रस्ट प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :320
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 145
आईएसबीएन :0

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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।



विश्राम में निपुणता



अधिकतर लोग सोचते हैं कि विश्राम करना बहुत आसान काम है - बस, बिस्तर पर लेट जाओ और आँखें बंद कर लो। वास्तव में वैज्ञानिकों के अलावा अन्य कोई विश्राम का ठीक-ठीक अर्थ समझता ही नहीं। आप थके होते हैं और बिस्तर पर जाते हैं तथा सोचते हैं कि विश्राम कर रहे हैं, लेकिन जब तक आप माँसपेशीय, मानसिक एवं भावनात्मक तनावों से मुक्त नहीं होते, तब तक आप कभी वास्तविक विश्राम प्राप्त नहीं कर सकते। आधुनिक जीवन के सभी साधनों से सम्पन्न व्यक्ति भी सदा तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं। वे आदतन नाखून काटने, सिर खुजलाने, ठुड्डी को सहलाने अथवा पैरों पर थपकी देने जैसी हरकतें करते हैं। वे कभी-कभी इधर-उधर टहलते हैं, बातें करते हैं, सदा चिड़चिड़े रहते हैं अथवा लगातार सिगरेट पीते रहते हैं।

लोग इस तरह की हरकतें इसलिए करते हैं कि वे अपने भीतरी तनाव से अनभिज्ञ हैं। वे भले ही सोचें कि उन्हें कोई चिन्ता नहीं है, पर उनकी ओर एक दृष्टि डालने से ही पता चल जायेगा कि वे तनाव से भरे हुए हैं। सोते समय भी विचार और चिन्ताएँ उनके मन में घूमती रहती हैं। अत: भरपूर नींद लेने के बावजूद भी ऐसा व्यक्ति थकान का अनुभव करता है। वस्तुतः सम्पूर्ण विश्राम का अर्थ है - मानसिक और भावनात्मक तनावों से मुक्त होना। तभी वास्तविक विश्राम की स्थिति उत्पन्न होती है। तनावों से मुक्ति पाने हेतु योग निद्रा का अभ्यास एक वैज्ञानिक विधि है।

योग निद्रा शारीरिक एवं आत्मिक उपलब्धि में नींद से भी अधिक प्रभावकारी सिद्ध हुई है। जिन्होंने इस विद्या को अपनी दैनिकचर्या में शामिल कर लिया है, उन्होंने यह अनुभव किया है कि उनकी नींद की आदत में बहुत परिवर्तन आया है। योग निद्रा के केवल एक पूरे सत्र का समय ही घण्टों की साधारण नींद से अधिक विश्रामदायक सिद्ध हुआ है। एक घण्टे की योग निद्रा का अभ्यास चार घण्टे की साधारण नींद के बराबर विश्रामदायक है। यह योग की ऐसी प्रक्रिया है जिसका आविष्कार प्राचीन काल में महान् ऋषियों ने शक्ति और शान्ति की प्राप्ति के लिए किया और अपने अल्प जीवनकाल में जीवन से सम्बन्धित सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति पाने का रास्ता खोज निकाला। भूतकाल में योगियों और महात्माओं द्वारा प्रयुक्त की गयी यह तकनीक अपनी प्रासंगिकता और उपयोगिता के कारण वर्तमान में भी अपनायी जा रही है।

योग निद्रा में सोना और स्वप्न देखना एक क्रान्तिकारी प्रयोग है। वस्तुतः प्राचीन इतिहास में इस विधि को अपनाने का वर्णन कई बार आया है। इस प्रकार से सोने का अभ्यास करने वालों का जीवन सफलता तथा प्रेरणा से भरा हुआ है। सत्रहवीं शताब्दी में नेपोलियन बोनापार्ट के विषय में कहा जाता था कि उन्होंने अद्भुत शक्ति और असाधारण कार्यक्षमता प्राप्त की थी। लड़ाई के मैदान में भी वे अपने अफसर को थोड़ी देर के लिए युद्ध का भार देकर अपने शिविर में 20 मिनट के लिए सो जाते थे। उनमें इतनी शक्ति थी कि एक सेकेण्ड में उनकी नाक युद्ध के बाजे के साथ तान में तान मिलाने लगती थी। 20 मिनट के बाद वे उठकर पुनः शक्ति से भरपूर, चैतन्य और नयी प्रेरणाओं से युक्त होकर घोड़े पर सवार होते थे और अपनी फ्रेंच सेना में नवीन आदेश उत्साह से देते रहते थे।

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