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आदर्श भोजन

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1499
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...

16. उत्तम भोजन

हमने पहले बताया है कि उत्तम भोजन का माप साधारणतया प्रत्येक मनुष्य के लिए यह है

आटा      1 पाव

दाल       1 छटांक

घी        आधी छटांक

शाक, तरकारी, फल, दही, छाछ और दूध।

यह सर्वसुलभ उत्तम भोजन का एक मापदंड है। अब हम पृथक्-पृथक् स्थितियों में भिन्न-भिन्न मनुष्यों के भोजन के प्रयोग यहां लिखते हैं।

17. गर्भिणी स्त्री के लिए

गर्भिणी स्त्री का भोजन ऐसा होना चाहिए कि जिससे बालक स्वस्थ उत्पन्न हो और प्रसव के बाद माता उसे उत्तम प्रकार का अपना दूध दे सके।

गर्भिणी और दूध पिलाने वाली माताओं के भोजन में कैलसियम, फास्फोरस, लोहा तथा विटामिन बी, ए, सी और डी होना अत्यन्त आवश्यक है। मक्खन निकले हुए दूध में कैलसियम, लवण, फास्फोरस और विटामिन बी अधिक होते हैं। सही दूध में भी ये तत्त्व होते हैं, केवल घी अधिक होता है। मक्खन में विटामिन ए होता है। दूध का प्रोटीन तत्काल रक्त बनाता है तथा वनस्पति और अन्नों के प्रोटीन को पचाने में भी सहायक होता है। दूध में कैलसियम और फास्फोरस की अधिकता के कारण वह दूसरे पदार्थों या सूर्य-किरणों से प्राप्त विटामिन डी को प्रभावशाली बनाता है।

गर्भिणी और दूध पिलाने वाली माताओं का भोजन सुपाच्य होना आवश्यक है। गर्भिणी के लिए आहार की योजना इस प्रकार होनी चाहिए-

प्रात: नाश्ता : दूध डेढ़ पाव (यथासम्भव गाय या बकरी का मक्खन निकला हुआ), ताज़े उबले हुए आलू 1 छटांक।

दोपहर को : गेहूं का आटा 1 पाव, दाल छिलकेदार 1 छटांक,  घी या मक्खन आधी छटांक, हरी तरकारी (खास तौर पर बथुआ, पालक, मेथी, सरसों, चौलाई)।

रात को : गेहूं का दलिया, दूध और फल तथा नीबू।

गर्भिणी स्त्री को चावल कम दिया जाए तथा चीनी बहुत ही कम दी जाए। प्रातःकाल के नाश्ते में गर्भ की 4-5 मास की स्थिति में आलू के स्थान पर 6-7 बादाम रात को भिगोकर प्रात: छीलकर चबा लिए जाएं तो बालक का रंग गोरा होगा। नीबू के अधिक सेवन से प्रसव-पीड़ा कम होगी।

दूध पिलाने वाली माताओं का भोजन

प्रात: नाश्ता : दूध, दलिया, 1 संतरा

दोपहर को : गेहूं का आटा एक पाव

दाल 1 छटांक

घी या मक्खन आधी छटांक

फल और तरकारी, विशेषकर आलू पत्तों की तरकारी, नीबू सेब, अनन्नास, पपीता।

रात को : दलिया, दूध, तरकारी, पूरी या रोटी।

आठ वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 

प्रात: नाश्ता : एक संतरा या एक गिलास ताजा मठा या एक पाव मक्खन निकला हुआ दूध अथवा कुछ भी नहीं।

दोपहर को गेहूं की मोटी रोटी, दाल, उबली हुई तरकारी, उबला हुआ आलू और छाछ।

रात को : रोटी, तरकारी और दूध। दूध में या किसी भी अन्य रीति से चीनी या उसकी बनी मिठाइयां किसी भी हालत में बच्चों को नहीं देना चाहिए। शीतऋतु में रात के भोजन में आधी छटांक गुड़ दिया जा सकता है। भोजन के बाद एक नीबू का टुकड़ा नमक लगाकर चाटने की आदत डालनी चाहिए।

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