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आदर्श भोजन

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1499
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...

25. सोडा, लैमनेड, बर्फ और आइसक्रीम

आजकल सोडा, लैमनेड या बर्फ का पानी पीने का प्रचार उच्च वर्ग में बहुत बढ़ गया है। गरमी की ऋतु में तो बिना बर्फ के काम ही नहीं चल सकता। परन्तु ये सब वस्तुएं अत्यन्त हानिकारक हैं। इन वस्तुओं का नित्य प्रयोग करने से पाचन-शक्ति तथा पाचन-यन्त्र खराब हो जाते हैं। पानी उतना ही ठंडा पिया जाना चाहिए, जहां तक कि पेट की गरमी ठण्ड पहुंचाने के बाद वैसी ही लौट आए। यदि आमाशय को इससे अधिक ठंड पहुंचाई जाए भी तो आमाशय की गरमी नशीले पदार्थों के प्रभाव की भांति नित्य प्रति कम होती जाएगी और अन्त में मंदाग्नि का घातक रोग हो जाएगा। इसलिए बर्फ का नित्य बहुतायत से प्रयोग करना हानिकारक है। ताज़ा ठंडे घड़े का शुद्ध पानी ही पीना अच्छा है।

इसके अतिरिक्त बर्फ में और भी दूषित कीटाणु उसके तैयार होने के समय उत्पन्न हो जाते हैं, जिनसे  शरीर दूषित हो जाता है। बर्फ से दांत भी कमजोर हो जाते हैं। गर्म भोजन के साथ बर्फ का ठंडा पानी  दांतों के मसूड़ों को ढीला कर देता है।

सोडा, लैमनेड तथा अन्य इसी प्रकार के कृत्रिम पेय अनावश्यक, उत्तेजक और हानिकारक होते हैं। कुल्फी, बर्फ और आइसक्रीम द्वारा तो हैजा होने का सदैव ही खतरा बना रहता है।

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