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आदर्श भोजन

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1499
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...

3. विटामिन

सन् 1906 में वैज्ञानिकों को पता चला कि यदि भोजन में विटामिन न हों तो शरीर की भिन्न-भिन्न ग्रथियां स्वस्थ नहीं रह सकतीं। प्रत्येक खाद्य पदार्थ की महत्ता उसमें पाए जाने वाले विटामिनों से है। विटामिन उस तत्त्व का नाम है, जो भोजन में थोड़ी मात्रा में रहने पर भी जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है। विटामिन ग्रंथियों को वे आवश्यक भोजन-तत्त्व देता है, जो कि शरीर में स्वयं पैदा नहीं होते। विटामिन के पांच भेद हैं : ए, बी, सी, डी, ई। विटामिन ए की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। बी की कमी से बेरीबेरी रोग हो जाता है। सी की कमी से स्कर्बी

रोग, डी की कमी से हड्डियों की निर्बलता और ई की कमी से जननेन्द्रिय-सम्बन्धी निर्बलता हो जाती है। भिन्न-भिन्न विटामिन भिन्न-भिन्न भोजनों में पाए जाते हैं-

ए : गाजर, गोभी, पालक, शलजम, सलाद, मटर।

बी : गाजर, गोभी, सलाद, पालक, शलजम, टमाटर, खमीर।

सी : नीबू नारंगी, अंगूर, बंदगोभी, मटर, टमाटर, सलाद, कच्चा पालक।

डी और ई अन्य वनस्पतियों तथा हरी सब्जियों में मिलते हैं। विटामिन और प्रोटीन का स्रोत एक ही है। सब्जियों में विटामिन और प्रोटीन सीधे सूर्य की किरणों से प्राप्त होता है। पशुओं के दूध में प्रोटीन और विटामिन सब्जियों और घास-पात के खाने से तथा धूप में फिरने से प्राप्त होता है।

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