लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> मानस मुक्तावली भाग-1

मानस मुक्तावली भाग-1

श्रीरामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : रामायणम् ट्रस्ट प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :412
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15265
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

प्रस्तुत ग्रंथ में रामचरितमानस की 100 चौपाइयों के विशद विवेचन का प्रथम भाग...

‘मानस-मुक्तावली' का प्रथम खण्ड जिन सौ चौपाइयों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है, वे निम्नलिखित हैं :
1. वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥
2. भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धा-विश्वासरूपिणी।।
याभ्यां बिना न पश्यनित सिद्धाः स्वान्तः स्थमीश्वरम्॥
3. राम भगति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्रह्म विचार प्रचारा॥
4. बिधि-निषेधमय कलिमल-हरनी। करम कथा रबिनंदिनि बरनी॥
5. मति कीरति गति भूति भलाई। जब जेहि जतन जहाँ जेहि पाई॥
6. सो जानब सतसंग प्रभाऊ। लोकहुँ बेद न आन उपाऊ॥
7. जड़ चेतन गुन दोषमय, बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पय, परिहरि बारि बिकार।
8. खलउ करहिं भल पाइ सुसंगू। मिटइ न मलिन सुभाउ अभंगू॥
9. स्याम सुरभि पय बिसद अति, गुनद करहिं सब पान।
गिरा ग्राम्य सियराम जस, गावहिं सुनहिं सुजान।
10. कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सब कहँ हित होई॥
11. प्रनवउँ प्रथम भारत के चरना। जासु नेम व्रत जाइ न बरना॥
12. रामचरन पंकज मन जासू। जासु नेम ब्रत जाइ न बरना।
13. बन्दउँ लछिमन पद जल जाता। सीतल सुभग भगत सुखदाता॥
14. रघुपति कीरति बिमल पताका। दण्ड समान भयउ जसा जाका॥
15. सेस सहस्र सीस जग कारन। जो अवतरेउ भूमि भय टारन॥
16. सदा सो सानुकूल रहु मो पर। कृपासिन्धु सौमित्रि गुनाकर॥
17. रिपुसूदन पद कमल नमामी। सुर सुसील भरत अनुगामी।
18. महाबीर बिनवउँ हनुमाना। राम जासु जस आपु बखाना।
19. जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।
20. ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपा निरमल मति पावउँ॥
21. गिरा अरथ जल बीचि सम, कहिअत भिन्न न भिन्न।
बंदउँ सीता राम पद, जिन्हहिं परम प्रिय खिन्न।
22. बंदउँ नाम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को।
23. अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाखी॥
24. रामकथा मन्दाकिनी, चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग स्नेह बन, सिय रघुबर बिहारु॥
25. संबत सोरह से एकतीसा। करउँ कथा हरिपद धरि सीसा॥

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book