प्रस्तुत संकलन में नौहा, सलाम, नात, कत्आ, दोहा और नज्म के माध्यम से मौला को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं

">
लोगों की राय

बाल एवं युवा साहित्य >> श्रद्धा सुमन बराए-कर्बला

श्रद्धा सुमन बराए-कर्बला

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15423
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

प्रस्तुत संकलन में नौहा, सलाम, नात, कत्आ, दोहा और नज्म के माध्यम से मौला को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं

सलाम


खुल्द में हम बतायें क्या होगा
हर तरफ ज़िक्रे-कर्बला होगा

हर जगह होंगे बस अज़ाख़ाने
मज़लिसे-ग़म का सिलसिला होगा

सबकी आँखों में अश्के गम होंगे
और रूमाले - सैयदा होगा

उसको दोज़ख जला न पायेगी
जो यहाँ आग पर चला होगा

हश्र में रास्ता न भटकोगे
कर्बला का अगर पता होगा

बिदअती क्या कहेंगे महशर में
जब मोहम्मद का सामना होगा

किसकी दोज़ख़ है, किसकी जन्नत है
हश्र में इसका फैसला होगा

हश्र के दिन जनाबे - जहरा की
हर शिया मर्कज़े दुआ होगा

हाथ सीने पे लब पे नामे-हुसैन
'कम्बरी' का ये मश्ग़ला होगा

0 0 0

...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book