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जियें तो जियें ऐसे

महेश जेठमलानी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15666
आईएसबीएन :978-1-61301-692-3

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जीवन जीने के लिये मार्गदर्शक पुस्तक

 

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प्राक्कथन

Preface

दुनिया में हर व्यक्ति सफलता की प्राप्ति के लिए ही कार्य करता है परंतु वह सफल नहीं हो पाता। उसकी इस असफलता के बहुत सारे कारण होते हैं।

असफलता का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि लोग यह नहीं जानते कि सफलता का भी एक विज्ञान है। उसके भी निश्चित नियम और सिद्धान्त हैं। यदि उनका अध्ययन, अभ्यास और पालन किया जाये तो सफलता को भी पाया जा सकता है। जितने भी लोग सफल होते हैं उन्होंने किसी न किसी रूप में जाने-अंजाने उन सफलता के नियमों और सिद्धांतों का पालन किया ही होता है। इन नियमों और सिद्धांतों को लोग अपने जीवन में अलग- अलग समय और परिस्थितियों में सीखते हैं। किसी को ग़रीबी, किसी को अमीरी तो किसी को उसकी परिस्थितियाँ ये सब सिखा देती हैं।

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि लोगों को उनकी बचपन में की गई अनुकूलता के बारे में मालूम ही नहीं होता, उन्हें मध्यमता (Mediocrity) के लिए अनुकूलित किया गया है यह वे नहीं जानते। अतः सफलता पाने वाले लोग उनके लिए अलादीन के चिराग की भांति होते हैं। उन्हें लगता है कि यह सब उनके बस की बात नहीं है और वे यह सब नहीं कर पाएंगे। उनके पास इसके लिए कई बहाने होते हैं जैसे पैसा, उच्च शिक्षा, ऊंचा खानदान, पहुँच या कई वर्षों का अनुभव इत्यादि न होना। परंतु सबसे रहस्यमय बात यह है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के पास, जैसी कि भ्रांति है के विरुद्ध, ये सब चीज़ें होना आवश्यक नहीं है। ये केवल असफल लोगों के अपनी असफलता की सफाई देने के बहाने हैं।

सफलता आप जो भी काम कर रहे हैं केवल उसके प्रति आपका जुनून (Passion), दृढ़ विश्वास (strong Belief) और स्थिरता (Persistence) मांगती है। सफलता पाने के लिए उस विषय के बारे में आपकी जानकारी या महारत भी उतनी आवश्यक नहीं जितनी ये तीन चीज़ें ज़रूरी हैं। शुरू में हो सकता है आपके पास उस विषय की सम्पूर्ण जानकारी या महारत न हो पर आपका जुनून उसकी कसर पूरी कर देता है। आप देखेंगे कि विभिन्न क्षेत्रों में जो भी लोग सफल हुए वे उस समय के उस विषय में सबसे अधिक जानकार नहीं थे पर उनके उपरोक्त तीन गुणों ने ही उनको सफलता दिलाई। यदि आप जुनून और दृढ़ विश्वास के साथ सफलता की राह पर चलते रहें तो अवश्य सफल हो सकते हैं।

सफलता की शुरुआत विचारों से होती है। अनगिनत विचार हमारे मन में प्रतिदिन आते हैं और उनमें से ही एक विचार किसी का कोई सपना बन जाता है और उस सपने पर वह व्यक्ति एक पूरी इमारत खड़ी कर देता है और लोगों के लिये वह एक विशाल सफलता बन जाती है। विचार ही वह बीज है जो किसी भी सफलता को अपने आप में से एक पेड़ की तरह निकालता है। अतः हमें विचारों के बारे में बहुत ही सावधान रहना चाहिए कि फालतू के विचार हमारे मन में आयें भी तो हम उन्हें पनपने न दें अन्यथा वे हमारी सफलता की कब्र बन सकते हैं।

नेपोलियन हिल ने कहा था इच्छा किसी भी वस्तु को प्राप्त करने का प्रारम्भ है, मात्र एक आशा नहीं, न ही तमन्ना परंतु एक धड़कती इच्छा जो सब कुछ भुला दे। पर ऐसा देखा गया है कि लोगों की इच्छाएं तो अनंत को प्राप्त करने की होती हैं पर उसके लिये काम कोई नहीं करना चाहता। उन इच्छाओं में से सबसे ज्वलंत एक इच्छा को निकाल कर जो उसे अपना सपना बना लेता है वही व्यक्ति सफल हो जाता है। सपनों के बारे में हम इस पुस्तक में विस्तृत चर्चा करेंगे।

हमारे अवचेतन मन (Subconscious Mind) की शक्तियाँ अनंत हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है। सफलता प्राप्त करने के लिए जो कुछ चाहिए वह सब हमारे अवचेतन मन के द्वारा ईश्वर ने पहले से ही हमारे अंदर डालकर हमें इस धरती पर भेजा है। हमें केवल उसे काम में लेना सीखना है। जब हम अवचेतन मन की शक्तियों का अध्ययन करते हैं तो हमें पता लगता है कि दुनिया का कोई तंत्र इसकी बराबरी नहीं कर सकता परंतु लोग फिर भी अपने आप से बाहर सफलता के शॉर्ट-कट ढूंढते फिरते हैं। सफलता के सारे शॉर्ट और लॉन्ग-कट हमारे अंदर ही हैं। पर वो सब तब कार्य करते हैं जब आप कर्म करें या एक्शन लें। बैठे बिठाये कुछ भी काम नहीं करता।

आज के परिपेक्ष्य में देखें तो केवल सफलता पाना ही लोगों का ध्येय हो गया है फिर चाहे किसी भी तरह से वह प्राप्त की जाये जो कि प्रकृति के सिद्धांतों के विपरीत है। यदि आपकी सफलता समाज के लिए कुछ अच्छा लेकर आती है तो वह स्थाई होगी अन्यथा वह अस्थायी ही होगी। इसी प्रकार सफलता यदि आचार नीति (Ethics) और मानव मूल्यों (Moral values) को ध्यान में रखकर प्राप्त की जाये तो वह स्थायी होती है अन्यथा अस्थायी। आपने कई बड़े उद्योगों को नई-नई ऊँचाइयाँ छूते हुए और फिर गर्त में जाते हुए भी देखा होगा उनका कारण यही रहा है कि उन्होंने सिद्धांतों की परवाह नहीं की।

उन्होंने किसी बड़े उद्योग को चलाने के लिए जो ज़रूरी चीज़ें हैं उनका ध्यान नहीं रखा। केवल नफ़ा कमाना ही बिज़नेस नहीं कहलाता। हेनरी फोर्ड ने कहा भी है कि अगर पैसा कमाना ही आपका बिज़नेस है तो आप गलत धंधे में हैं (A business that makes nothing but money is a poor business)। चाहे बड़ा बिज़नेस चलाना हो या केवल एक व्यक्ति को अपने आपको, आचार नीति और मानव मूल्य समान ही रहेंगे। क्योंकि बड़े से बड़े बिज़नेस को भी एक आदमी ही चलाता है और उसी आदमी के मूल्य उस बिज़नेस का भविष्य निर्धारित करते हैं। कर्मचारी तो हमेशा मालिक के ही पीछे चलते हैं। अभी हाल ही में जो येस बैंक, डीएचएफ़एल, पीएमसी बैंक और आईएल&एफ़एस जैसी बड़ी कंपनियाँ असफल हुईं हैं उनका मूल कारण यही रहा है।

समय के बारे में बात करना सूरज को दिया दिखाने जैसा है। यह ऐसी वस्तु है जिसके बिना कोई भी कुछ कर नहीं सकता और इसकी कमी ही सबको इसके पीछे भागने पर मजबूर कर देती है। समय दो होते हैं एक तो जो प्रतिक्षण चल रहा है और जिसे हम घड़ी से माप लेते हैं और दूसरा वह जिसे हम न माप सकते हैं न जान सकते हैं कि यह कब आएगा। दुनिया में जिसे कहते हैं कि 'समय से पहले किसी को कुछ मिला नहीं' वो वाला समय। अर्थात सही क्षण, अवसर का क्षण, सफलता का क्षण। जिसे देखिए इसके लिये ही काम करता है और किसी के लिये यह एक मिनट में आ जाता है तो किसी के लिए इसे आने में बरसों निकल जाते हैं और उसे यह क्षण नहीं मिलता। चाहे जितना काम कर लीजिए पर सफलता कब मिलेगी यह कोई नहीं कह सकता। सपनों को प्राप्त करने की निश्चित तिथि सही सही कोई नहीं बता सकता। यही वह वस्तु है जो हमें उस सर्वशक्तिमान प्रभु के अस्तित्व की अनुभूति करवाती है। यही हमारी साँसों के बारे में भी है कि वे कब तक चलेंगी कोई नहीं जानता। मनुष्य उस अनंत की ताकत के सामने बौना ही रह जाता है। इसे कैसे काम में लें इस पर हम विस्तृत बात करेंगे।

हमारी ख़ुशी सीधी हमारी आध्यात्मिकता (Spirituality)से जुड़ी है। आध्यात्मिकता के बारे में ज़्यादातर यह भ्रांति है कि यह धर्म से जुड़ी वस्तु है और सफलता या बिजनेस की बात करते वक़्त इसे दूर ही रखना चाहिए। परंतु ऐसा नहीं है। आध्यात्मिकता का व्यक्ति के जीवन, विचार, सोच, सोच के तरीक़ों से उतना ही संबंध है जितना कि दूध का पानी से। पानी के बिना दूध का क्या अस्तित्व? इसी प्रकार आध्यात्मिकता के बिना आपकी सोच और सफलता का क्या अस्तित्व? सफलता के लिए जो आपकी सोच होनी चाहिए वह आपको आध्यात्मिकता के सिद्धांतों का पालन करने से तुरंत मिल जाएगी। इसके बारे में अधिक जानकारी हम आध्यात्मिकता के अध्याय में लेंगे।

इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको सफलता प्राप्त करने के लिए आपकी क्षमता और उसे कैसे बढ़ाया जा सकता है, आप अपने अवचेतन मन से कैसे सहायता ले सकते हैं, आप कैसे अपने सारे सपने सच कर सकते हैं, इस संसार में आप अकेले की ताक़त से क्या कर सकते हैं, आपका इस संसार में आने का प्रयोजन आदि के बारे में जानकारी मिलेगी।

यह पुस्तक किसी भी व्यक्ति के लिये, जो सफलता की परिभाषा से भी अनभिज्ञ हो, अपने सपने से आरंभ करके सफल होने तक की प्रक्रिया का, विद्वानों व सफल व्यक्तियों के वाक्यांशों, उदाहरणों व रोचक कहानियों से परिपूर्ण, जहां आवश्यक हो अंग्रेज़ी में मूल वाक्यांश उद्धृत, सरल भाषा में वर्णित एक संपूर्ण ग्रंथ है।

शुभेच्छा सहित,

महेश जेठमलानी

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