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भारत में प्रदर्शन परंपरा

सुरेश अवस्थी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :93
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15747
आईएसबीएन :9788123755182

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इस पुस्तक में महाकाव्यों की प्रदर्शन परंपरा से लेकर नए समकालीन रंगमंच तक भारत की प्रदर्शन परंपरा के विविध पक्षों का विवेचन किया गया है। रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्यों की वाचन परंपरा से प्रारंभ होकर प्रदर्शन कला उत्तरोत्तर विकास की ओर बढ़ती गई। इस समृद्ध प्रदर्शन परंपरा के विभिन्‍न आयामों को इसके अपने विशिष्ट मिथकों, प्रथाओं, परंपराओं और लोकजीवन के साथ सरल, सुबोध शैली में प्रस्तुत किया गया है। संस्कृत क्लासिक नाट्यगृहों के उत्थान व पतन के साथ कला की अन्य विधाएं जैसे कि मुखौटा, पुतली, नर्तन, आयुध कला तथा स्वतंत्रता के बाद आधुनिक रंगमंच के विकास तक की यात्रा को रंगीन व श्वेत-श्याम चित्रों ने और जीवंत बना दिया है। इस प्रकार यह पुस्तक प्रदर्शन परंपरा के माध्यम से देश के सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष को जानने का एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत करती है।

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