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पारंपरिक भारतीय रंगमंच : अनंत धाराएँ

कपिला वात्स्यायन

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15750
आईएसबीएन :9788123714325

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यह पुस्तक भारतीय नाट्य कलाओं के कुछ रूपों का पथदर्शी अध्ययन है, जो परंपरागत संदर्भ में न ‘लोक’ और न ही शास्त्रीय आन-बान के हैं, बल्कि दोनों के मिश्रित तत्वों की अभिव्यक्ति हैं। चरित्र और अभिव्यक्ति में व्यापक रूप से विभिन्‍न अथवा भिन्‍न होते हुए भी ये आंगिक सशक्तता और विश्वदर्शिता दर्शाते हैं, जो परंपरा और विशिष्टता में भारतीय हैं। अनुभव का यही पुंज आधुनिक उपलब्धि में एक विशिष्ट कड़ी जोड़ता है।

पुस्तक की विषयवस्तु यक्षगान, भागवतमेला, छऊ, नौटंकी, रामलीला सहित अन्य कई रूपों की जानकारी एवं मूल्यांकन प्रस्तुत करती है, जो संपूर्ण भारत, केरल से उत्तर प्रदेश और गुजरात से असम तक विद्यमान है। लेखिका ने इस जानकारी को प्रस्तुत करने के लिए न केवल पुरातत्व, पुस्तकें व रूढ़े परंपराओं का सहयोग लिया है, वरन्‌ उन्होंने जो भी लिखा है, बह एक कलाकार के ज्ञान तथा अनुभव का परिणाम है।

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