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कविता संग्रह >> सहमी सहमी सदी

सहमी सहमी सदी

कमल मुसद्दी

प्रकाशक : अमन प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :119
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15820
आईएसबीएन :9789390265404

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सीता जी ने साढ़े तीन माह

अशोक वाटिका अर्थात

एकांतवास करके

कोरोना से भी खतरनाक

रावण के अंत की इबारत लिखी थी

इस अंतराल में उन्हें

अपनों में सिर्फ

हनुमान जी की शक्ल दिखी थी

सीता की इस तपस्या का ही

बल था कि

आततायी रावण का अंत हो गया

रावण वध हुआ तो

पूरे देश का मौसम बसन्त हो गया

आधुनिक काल के

वीर सावरकर ने सालों साल

जिंदगी काला पानी की जेल में

अकेले कोठरी में बिताई थी

तब कहीं अंग्रजों से

मुक्ति मिल पाई थी

सोचो हम आप क्या किसी

और दुनिया से आये हैं

हम सब भी तो इसी

भारत की मिट्टी के जाए हैं

तो फिर कुछ दिनों के

लॉकडाउन से न घबराएं

धैर्य से घरों में रह कर

मिट्ठी का कर्ज चुकाएं

शत्रुबध तक बाहर न आएं

करोना-रावण फिरंगी को जला कर ही

विजय दिवस का जश्न मनाएं।

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