लोगों की राय

आलोचना >> भारतीय साहित्य की पहचान

भारतीय साहित्य की पहचान

डॉ. सियाराम तिवारी

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :664
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15832
आईएसबीएन :9789350729922

Like this Hindi book 0

कोई भी भाषा अपने साहित्य की दृष्टि से ही अपने प्रति श्रद्धा आकर्षित कर सकती है। इस प्रकार का विशेष महत्व हिन्दी भाषा के साहित्य में यथेष्ट रूप में पाया जाता है। मध्य-युग के साधक कवियों ने हिन्दी भाषा में जिस भाव-धारा का ऐश्वर्य-विस्तार किया है उसमें असाधारण विशेषता पायी जाती है। वह विशेषता यही है कि उनकी रचनाओं में उच्च कोटि के साधक एवं कवियों का एकत्र सम्मिश्रण हुआ है। इस प्रकार का सम्मिश्रण दुर्लभ है।

– रवीन्द्रनाथ ठाकुर

यूरोपीयन पंडित यह अनुमान नहीं कर सकते कि भारतीय साहित्य एक जीवित जाति की साधना।

– हजारी प्रसाद द्विवेदी

वास्तव में, भारतीय साहित्य की धारणा का सीधा सम्बन्ध भारतीय संस्कृति और भारतीय राष्ट्र की धारणा के साथ जुड़ा हुआ है। जिस प्रकार सहस्राब्दियों से धर्म, जाति, भाषा आदि के वैविध्य के रहते हुए भी भारतीय संस्कृति में मूलभूत एकता रही है और भारतीय राष्ट्र आज जीवन्त सत्य के रूप में विद्यमान है, इसी प्रकार भारतीय साहित्य की मूलभूत एकता का निषेध भी नहीं किया जा सकता। तत्त्व रूप में, भारतीय साहित्य एक इकाई है, उसका समेकित अस्तित्व है जो भारतीय जीवन की अनेकता में अन्तर्व्याप्त एकता को अभिव्यक्त करता है।

– डॉ. नगेन्द्र

कीजै न जमील उर्दू का सिंगार, अब ईरानी तलमीहों से, पहनेगी विदेशी गहने क्यों यह बेटी भारतमाता की ?

– जमील मज़हरी

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book