लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मिखाईल शोलोखोव

मिखाईल शोलोखोव

मिखाईल शोलोखोव

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 1988
पृष्ठ :568
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15951
आईएसबीएन :5050021022

Like this Hindi book 0

मिखाईल शोलोखोव

“शोलोखोव के नायक इस संसार में बस गये हैं, उन्होंने लेखक से स्वतंत्र अपना अस्तित्व पा लिया है, वैसे ही जैसे बच्चे बड़े होकर मां-बाप से अलग होते हैं और अपने जीवन-पथ पर निकलते हैं। शोलोखोव के नायक हमारे बीच जी रहे हैं, वे हमारी जनता के, हमारी पार्टी के ध्येय को अर्पित हैं, उन करोड़ों विदेशी पाठकों की मदद करते हैं, जो सोवियत व्यक्ति के चरित्र को, पृथ्वी पर कम्युनिस्ट समाज के निर्माण के लिये उसके संघर्ष को समझना चाहते हैं।’’

- यूरी बोन्दरेव


अनुक्रम

  • दोन की कहानियां

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • चरवाहा

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • हरामी

( अनुवादक : मदनलाल मधु )

  • नीलाभ स्तेपी

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • बछेड़ा

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • पराया खून

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • इंसान का नसीबा

( अनुवादक : मदनलाल मधु )

  • कुंवारी भूमि का जागरण भाग १

( अनुवादक : विनय शुक्ला )

  • नोबल पुरस्कार विजेता का भाषण

( अनुवादक : योगेन्द्र नागपाल )


प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book