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कहानी संग्रह >> चल ख़ुसरो घर आपने

चल ख़ुसरो घर आपने

मिथिलेश्वर

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 1981
पृष्ठ :115
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16
आईएसबीएन :8126306254

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मिथिलेश्वर द्वारा आज के ग्रामीण जीवन की एक सजीव अभिव्यक्ति।

Chal Khusro Ghar Aapne

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

इस संग्रह की कहानियों में आज का गाँव है- अपने सारे राग-विराग, सुख-दुःख के साथ। शहरी संस्कृति ने जिस तरह मानवीय संवेदनाओं को विकृत किया है उसका विद्रूप असर गाँव के सिवानों तक भी फैल चुका है। नतीज़तन अपसंस्कृति और अजनबीपन ने नगरों की तरह ही गाँवों में भी रिश्तों की गरमाहट को कम किया है। दरअसल गाँवों-क़स्बों के इस बदलते जीवन और परिवेश के यथार्थ को ही मिथिलेश्वर की ये कहानियाँ पूरी संवेदनशीलता के साथ बुनती और अभिव्यक्त करती हैं।


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