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कविता संग्रह >> बैठे-बैठे यकायक

बैठे-बैठे यकायक

अतुल कपूर

प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशऩ प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :157
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16040
आईएसबीएन :9789390894604

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नई कवितायें


सच का दामन क्या छूटा हमसे बयार-ए-सफ़र में
चले बिदकते बिदकते झूठ के सहारे सफ़र में

पहुँचना आसान मंज़िलों पर फ़ितरत नहीं अपनी
हम मापते हैं तमाम मुश्किलें मेयार-ए-सफ़र में

ता-उम्र तख़मीना करते रहे इक तेरे सफ़र का
तेरे बाद बस यही किया हमने हमारे सफ़र में

यार, मुहब्बत, अफ़साने, तबीयत, इत्मीनान
पीछे छूटा बहुत कुछ हमसे रफ़्तार-ए-सफ़र में

ले गयी जिधर राह हमको उधर को चल दिये
हम तो कभी भी ना रहे इख़्तियार-ए-सफ़र में

पीछे मुड़कर जब जब हमने देखा है 'बेलौस'
धुंधला धुंधला सब दिखता है गुबार-ए-सफ़र में

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    अनुक्रम

  1. सच का दामन

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