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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

Andhkaar : a social hindi novel by Gurudutt

 

"स्वराज्य प्राप्ति में आपका क्या योगदान है?”

उत्तर प्रदेश की विधान सभा के एक प्रमुख सदस्य, श्री शर्माजी ने अपने सम्मुख बैठे एक युवक से यह प्रश्न पूछा। शर्मा जी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के निर्वाचन-बोर्ड के संयोजक थे और यह समझा जा रहा था कि सन् 1947 के निर्वाचनों में वह ही कांग्रेस की नौका को निर्वाचन रूपी भंवर से निकालने वाले हैं।

यह अनुमान लगाया जा रहा था कि विधान सभा के सवा दो सौ के लगभग स्थानों पर प्रत्याशी खड़े करने के लिये सवा चार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी और इतनी धनराशि उन लोगों की जेब में अभी नहीं है, जिन्होंने अपने जीवन की यौवनावस्था महात्मा गाँधी की जयजयकार करते हुए जेलों में काटी थी।

सन् 1952 के निर्वाचनों में तो महात्मा गांधी की जय बुलाते हुए बैलों की जोड़ी के कंधे पर हाथ रखे हुए और श्री जवाहरलाल नेहरू के भव्य चित्रों का प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी निर्वाचन का दुस्तर सागर पार कर गये थे। परन्तु अब स्थिति बदल रही थी। अब जनता को ज्ञान हो गया था कि महात्माजी के आदेश पर शराब की दुकानों पर धरना देने वाले, जब विधान सभाओं में पहुँचे तो उनके घरों में मधुशालायें चलने लगी थीं। स्वराज्य काल में सिगरेट, बीड़ी और शराब का सेवन अंग्रजी काल से अधिक हो गयाथा। अब अंग्रेजी का प्रचार और विस्तार दासता के काल से अधिक हो रहा था। विदेशी आचार-विचार द्रत गति से पनपने लगे थे।

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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