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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

: 2 :

 

जब यह नक्शा स्वीकार होकर आया तो सेठजी ने नक्शे को देख विस्मय प्रकट किया। कार्यालय के मुख्य मैनेजर से सेठजी ने पूछ लिया, "यह किस मकान का नक्शा है?''

''यही जो हवेली के सामने बन रहा है।"

''पर उसमें तो केवल तीन कमरों का आयोजन था?''

"जी। परन्तु कमलाजी ने एक 'रिवाइज्ड प्लान' नगरपालिका से स्वीकार करवाया है और उसके अनुसार नींव खुदवाकर भरनी आरम्भ हो गयी है।"

सेठजी मैनेजर के सामने तो चुप रहे। इस बार वह पन्द्रह दिन के दौरे के उपरान्त बदायुँ लौटे थे। उन्होंने पीछे पृथक में कमला से पूछ लिया, "यह मकान किसके लिए बनवा रही हो?''

''मैंने विचार किया है कि वह मकान मेरे लिए होगा। आखिर मुझे भी तो कहीं रहना है।''

''परन्तु कमला! मैंने सूरदास के लिए वहां मकान बनवाने का प्रबन्ध किया था ,''

''वह भी नीचे की मन्जिल में रह सकेंगे। ऊपर की मन्जिल पर मैं रहूंगी।"

"परन्तु तुम्हारी मां ने तो वह मकान इस कारण बनवाने के लिये कहा था कि सूरदास को तुमसे पृथक मकान में रखा जाए।"

"तो माताजी उनको हवेली में ही रहने दें। वहां बड़े कमरे में कथा किया करेंगे और फिर हवेली में आकर रहेंगे। मैं तो अब वहीं

रहूंगी।"

''कथा तो बाहर खुले मैदान में हुआ करती है।"

''परन्तु वहां सर्दी, गर्मी, धूप और वर्षा बाधक होते थे। यहाँ बड़े कमरे में तो ऐसी कोई बाधा नहीं रहेगी।"

''तुम्हारे विवाह का भी तो प्रबन्ध करना है। तुम्हारी मां इस विषय में भाग-दौड़ कर रही है।"

''जब होगा तब भी मैं यह मकान अपने लिए रखूंगी। हम दोनों जब भी इस नगर मे होंगे, यहीं इस मकान में रहा करेंगे।''

"और हवेली में कौन रहेगा?"

''भैया हैं। वे कदाचित् एक अन्य विवाह कर लेंगे और उससे उनके पुत्र-पौत्र होंगे। वे सब दुस हवेली में रहेंगे।"

"यह तुमको किसने बताया है?"

''एक दिन भाभी कह रही थीं कि उनके सन्तान होने की आशा नहीं। इस कारण भैया नवीन विवाह कर ले। इस पर भैया ने कहा था कि निर्वाचनों के उपरान्त बह इस विषय पर विचार करेंगे। मैं हवेली में अपने दोनों कमरा को खाली कर दूंगी। इससे उनको इस विषय पर विचार करने मैं प्रोत्साहन देना चाहती हूं।"

सेठजी ने चन्द्रावती से बात की तो उसने कह दिया, "मैं इसका यह अर्थ समझती हूं कि वह सूरदास के साथ उस नये मकान में रहना चाहती है। इसी कारण उसे अपने और अपनी सन्तान के लिए निर्माण करा रही है।"

''तो तुमने उसका सूरदास से विवाह स्वीकार कर लिया है?''

''शीलवती अध्यापिका ने कमला से तथा सूरदास से बातचीत की है और उसका यह कहना है कि सूरदास कमला से विवाह तो उसके माता-पिता की अनुमति से ही करेगा, परन्तु वह उससे प्रेम करने लगा है।''

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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