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डॉ अम्बेडकर : वैचारिकी एवं दलित विमर्श

डॉ. कालीचरण स्नेही

प्रकाशक : आराधना ब्रदर्स प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :312
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16182
आईएसबीएन :9788189076535

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डॉ. अम्बेडकर : वैचारिकी एवं दलित विमर्श

बुद्धिजीवी वर्ग वह है, जो दूरदर्शी होता है, सलाह दे सकता है और नेतृत्व प्रदान कर सकता है। किसी भी देश की अधिकांश जनता विचारशील एवं क्रियाशील जीवन व्यतीत नहीं करती। ऐसे लोग प्रायः बुद्धिजीवी वर्ग का अनुकरण और अनुगमन करते हैं। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि किसी देश का सम्पूर्ण भविष्य उसके बुद्धिजीवी वर्ग पर निर्भर होता है। यदि बुद्धिजीवी वर्ग ईमानदार, स्वतंत्र और निष्पक्ष है तो उस पर यह भरोसा किया जा सकता है कि संकट की घड़ी में वह पहल करेगा और उचित नेतृत्व प्रदान करेगा। यह ठीक है कि प्रज्ञा अपने आपमें कोई गुण नहीं है। यह केवल साधन है और साधन का प्रयोग उस लक्ष्य पर निर्भर है, जिसे एक बुद्धिमान व्यक्ति प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। बुद्धिमान व्यक्ति भला हो सकता है, लेकिन साथ ही वह दुष्ट भी हो सकता है। उसी प्रकार बुद्धिजीवी वर्ग उच्च विचारों वाले व्यक्तियों का एक दल हो सकता है, जो सहायता करने के लिए तैयार रहता है और पथ भ्रष्ट लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए तैयार रहता है।

- डॉ. भीमराव अम्बेडकर

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भारत में राजनीतिक समानता की व्यवस्था तो हो ही गई है, किन्तु अभी सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ शेष हैं। इस विसंगति को शीघ्रातिशीघ्र दूर किया जाए, वर्ना ये लोग जो सताये हुए हैं, राजनीतिक लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा देंगे।

- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
(सम्पूर्ण वाड्.मय, खण्ड-2)

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"डॉ. अम्बेडकर की जमात और उनके पुरखों के साथ हमने और हमारे पुरखों ने बहुत जुल्म और अत्याचार किए हैं। यदि डॉ. अम्बेडकर साहेब, गालियाँ तो क्या लाठी मार कर हमारा सिर भी फोड़ दें, तो भी हमारे शताब्दियों के पापों का प्रायश्चित नहीं हो सकता....।"

- महात्मा गांधी

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"बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर हिन्दू समाज - की तमाम दमनकारी व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक थे। उन्होंने उन सब के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके विरूद्ध हम सब को बगावत करनी चाहिए।"

- पं. जवाहर लाल नेहरू

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“मुझे प्रधानमंत्री बनाने वाले, देवी-देवता या कोई भगवान नहीं हैं बल्कि परम् पूज्य बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर हैं। यदि उन्होंने संविधान में नारी को वोट का तथा समानता का अधिकार न दिया होता, तो आज मैं विशाल भारत देश की प्रधानमंत्री कदापि न | होती। महिला समाज डॉ. अम्बेडकर का सदैव ऋणी रहेगा...."

- श्रीमती इंदिरा गांधी

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    अनुक्रम

  1. समर्पण
  2. अनुक्रमणिका

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