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आचार्य श्रीराम शर्मा >> उत्तिष्ठत जाग्रत

उत्तिष्ठत जाग्रत

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16272
आईएसबीएन :000000000

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मनुष्य अनन्त-अद्भुत विभूतियों का स्वामी है। इसके बावजूद उसके जीवन में पतन-पराभव-दुर्गति का प्रभाव क्यों दिखाई देता है?

Uttisthat Jagrat - a Hindi book by Sriram Sharma Acharya


मनुष्य अनन्त-अद्भुत विभूतियों का स्वामी है। इसके बावजूद उसके जीवन में पतन-पराभव-दुर्गति का प्रभाव क्यों दिखाई देता है? कारण एक ही है किमनुष्य अपने लिए मानवीय गरिमा के अनुरूप उपयुक्त लक्ष्य नहीं चुन पाता।

वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, युगऋषि पं० श्रीराम शर्मा आचार्य ने ऋषियों के सनातन जीवनसूत्रों को वर्तमान युग के अनुरूप व्यावहारिक स्वरूप देकर प्रस्तुत किया है। उन सूत्रों का अध्ययन, मनन, चिन्तन, अनुगमन करके कोई भी व्यक्ति जीवनके श्रेष्ठ लक्ष्यों का निर्धारण करके उन्हें प्राप्त करने में सफल, समर्थ सिद्ध हो सकता है।

जीवन को एक महत्त्वपूर्ण अवसर मानकर उसका सदुपयोग करने के इच्छुक हर नर-नारी के लिए इस संग्रह में संकलित विचार जीवन में सफलता,सार्थकता प्रदायक सिद्ध हो सकते हैं।



- प्रकाशक

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