आध्यात्मिक >> तीन साल तीन सालएंतोन चेखव
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कथानायक एक ऐसा नौजवान है जो संस्कारों की घुटन और थोथे हवाई आदर्शों की दुनिया में पला होने के कारण कभी अपने वातावरण से समझौता नहीं कर पाता। ‘विवाह और प्रेम’, ‘प्रेम और विवाह,’ ‘सुखी गृहस्थ्य जीवन’-आखिर ये सब भ्रमोत्पादक विचार ही हैं जिनमें वह काफी समय तक उलझा रहता है, और अन्ततः इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि ‘व्यक्ति को खुशी के विचारों को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए...सुख नाम की कोई चीज नहीं है...।’
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