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बाल एवं युवा साहित्य >> वीर बुन्देले - विजय ही विजय

वीर बुन्देले - विजय ही विजय

प्रतापनारायण मिश्र

प्रकाशक : लोकहित प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 2537
आईएसबीएन :0

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प्रतापनारायण मिश्र की ऐतिहासिक गाथाओं का दूसरा पुष्प विजय ही विजय।

विजय ही विजय रचना की अधिकांश कहानियाँ महाराज छत्रसाल के जीवन से संबंधित हैं। छत्रसाल का चरित्र विजय का इतिहास ही है। उन्होंने जीवन में कभी भी पराजय का मुख देखा ही नहीं था। स्वातंत्र्य यानी छत्रसाल। दोनों एक-दूसरे के पयार्य ही थे। इसीलिए प्रस्तुत पुस्तक का नाम विजय ही विजय दिया है।

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