सामाजिक >> अमंगलहारी अमंगलहारीविवेकी राय
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‘अमंगलहारी’ को पढ़कर पाठकों को सहज ही लग सकता है कि यह लघु उपन्यास लेखक के पूर्व प्रकाशित विशाल उपन्यास ‘मंगल भवन’ का दूसरा भाग अथवा उससे जुड़ा उपसंहार अंश है। ‘मंगल भवन अमंगलहारी’ वाली चौपाई की अर्द्धाली पूर्ण हो जाती है।
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