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कविता संग्रह >> दाना चुगते मुरगे

दाना चुगते मुरगे

यू. के. एस. चौहान

प्रकाशक : सत्साहित्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2670
आईएसबीएन :81-88266-30-2

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इस संग्रह को पढ़ते समय आज का संसार आदमियों की जगह कुत्ते, सियारों, बंदरों, मुरगों जैसे पशु-पक्षियों से भरे एक जंगल की तरह दिखाई पड़ता है, जिन्हें सिर्फ प्रतीक न समझकर यदि एक नए ‘पंचतंत्र’ की तरह पढ़ें तो एक प्रकार के नए सत्य का साक्षात्कार होगा।

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