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मनोरंजक कथाएँ >> अनोखा मुकदमा

अनोखा मुकदमा

मनोहर वर्मा

प्रकाशक : एम. एन. पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2942
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है तीन कहानियाँ

Anokha Mukadma -A Hindi Book by Manohar Varma - अनोखा मुकदमा - मनोहर वर्मा

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अनोखा मुकदमा

होली से दो दिन पहले ही मीरा का जन्म-दिन आता है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मीरा का जन्म-दिन धूम-धाम से मनाया गया। मीरा को बहुत सारे उपहार मिले-कपड़े का काला भालू आँखें मटकाने वाली गुड़िया, दुम हिलाने वाला बन्दर, रोटी कुतरने वाला खरगोश, भों-भों की आवाज करने वाला चितकबरा कुत्ता। ये तो मुख्य उपहार थे। जो सभी को पसन्द आए। इनके अलावा हाथी, घोड़ा, गिलहरी, मोटर हवाई जहाज, मेकिनो, स्पुतनिक पज़ल-और भी कई खिलौने थे। मीरा इन सबको पाकर बहुत ही खुश हुई और पार्टी पूरी होते ही सब ले जाकर अपने कमरे में सजा दिए।

मीरा के कमरे में पहले के भी कई खिलौने पड़े थे- टूटे हाथ वाली गुड़िया, पाँव टूटा खरगोश, आधी सूंड का हाथी, दुमकट बन्दर, कनकट कुत्ता, एक आँख की बिल्ली।

सर्दी के दिन थे। मीरा काफी देर तक खेलती रही। फिर लेट गई और किताब पढ़ने लगी। किताब थी- बच्चों की विश्व-प्रसिद्ध पुस्तक ‘एलाइसेज एडवंचर्स इन दी वण्डरलैंड’ इस पुस्तक को मीरा बड़ी मगन होकर पढ़ रही थी। थोडी ही देर में उसे कुछ खुसर-फुसर सुनाई दी। उसने देखा कि उसकी पुरानी वाली गुड़िया, खरगोश और बन्दर ने सब नए खिलौनों को अपने पास इकट्ठा कर लिया है; और वे धीरे-धीरे कुछ कह रहे हैं।

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