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विष्णु की कथाएँ

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2990
आईएसबीएन :81-7508-453-7

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हिन्दुओं के तीन देवताओं में विष्णु पालनकर्ता है। जब-जब पृथ्वी पर पाप की वृद्धि होती है, विष्णु धर्म की रक्षा करने और पाप का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं।

Vishnu Ki Kathayein A Hindi Book by Anant Pai

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

विष्णु की कथाएँ

हिन्दुओं के तीन देवताओं में विष्णु पालनकर्ता हैं। जब-जब पृथ्वी पर पाप की वृद्धि होती है, विष्णु धर्म की रक्षा करने और पाप का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं।
इन अवतारों की कथाएँ विभिन्न पुराणों में वर्णित हैं। प्रमुख पुराण 18 हैं। इनमें से छ: विष्णु पुराण कहलाते हैं, क्योंकि इनमें विष्णु का गुणगान किया गया है और विष्णु को भगवान माना गया है।

वेदों में विष्णु को इतना प्रमुख देवता नहीं बताया गया है। ऋग्वेद में विष्णु के विषय में केवल पाँच श्लोक हैं, परन्तु इन्द्र के विषय में 250 हैं। वेदों में कहीं-कहीं विष्णु को उपेन्द्र (उप-इन्द्र) कहा गया है।
कालांतर में विष्णु की महिमा इन्द्र से बढ़ गयी है और वे देवताओं के पूज्य देवता माने जाने लगे। कुछ विद्वानों का मत है विष्णु और वासुदेव (कृष्ण) एक हैं। यादव कुल-भूषण कृष्ण ने अपनी लीला से विष्णु को हिंदु देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान दिलवाया। वास्तव में वासुदेव को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है।

विष्णु ऐसे देवता हैं जिनसे उनके उपासक इतना भयभीत नहीं होते जितना स्नेह करते हैं। भागवत पुराण विष्णु की कृपालुता की कथाओं से भरपूर है।

प्रस्तुत रचना इसी पुराण पर आधारित है। विष्णु बड़े दयालु हैं और उनका हृदय बड़ा कोमल है तथापि दुष्टजनों की भक्ति का दिखावा उन्हें कभी छल नहीं पाता। ये दुष्ट अन्य देवताओं से वरदान प्राप्त कर लेते हैं, किन्तु विष्णु सदा कुछ न कुछ ऐसा कर देते हैं कि उन दुष्टों का नाश हो जाता है तथा वे वरदान भी
झूठे नहीं पड़ते।

 

गजेंद्र

 

पांडय नरेश, इन्द्रधुम्न बड़े संत पुरुष थे।
एक दिन उन्होंने अपने मंत्रियों को बुलाकर कहा-
मैंने निश्चय किया कि अब वन में जाकर भगवद् भजन करूँगा।
परन्तु, महाराज.....यह राज्य.....
इन बातों से मेरा निश्चय नहीं बदलेगा। राज-काज आप लोग अच्छी तरह कर सकते हैं।


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