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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> जीवन प्रबंधन

जीवन प्रबंधन

विजयशंकर मेहता

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :231
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3241
आईएसबीएन :81-8361-041-2

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श्रीहनुमान चालीसा की 40 चौपाइयों की व्याख्या...

Jivan Prabandhan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

करोड़ों लोगों के लिए श्रीहनुमान चालीसा नित्य परायण का साधन है। बहुतों को यह कण्ठस्थ है पर अधिकांश ने जानने का यह प्रयत्न नहीं किया होगा कि इन पंक्तियों का गूढ़ अर्थ क्या है। गोस्वामी तुलसीदास ने अपना सारा साहित्य प्रभु को साक्षात सामने रखकर लिखा है। उनका सारा सृजन एक तरह से वार्तालाप है। श्रीहनुमानजी से उनकी ऐसी ही एक निजी बातचीत का एक लोकप्रिय जनस्वीकृत नाम है श्रीहनुमान चालीसा।

आज के मानव को अच्छा, सहज, सरल और सफल जीवन जीने के सारे संकेत हैं इस चालीसा में। ज्ञान के सागर में डुबकी लगाकर, भक्ति के मार्ग पर चलते हुए, निष्काम कार्य-योग को कैसे साधा जाए, जीवन में इसका सन्तुलन बनाती है श्रीहनुमान चालीसा।

जिसे पढ़ने के बाद यह समझ में आ जाता है कि श्रीहनुमान जीवन-प्रबंधन के गुरु हैं।

जीवन-प्रबंधन का आधार है स्वभाव और व्यवहार। आज के समय में बच्चों को जो सिखाया जा रहा है, युवा जिस पर चल रहे हैं, प्रौढ़ जिसे जी रहे हैं और वृद्धावस्था जिसमें अपनी जीवन काट रही है वह समूचा प्रबंधन ‘‘व्यावहार’’ पर आधारित है। जबकि जीवन-प्रबंधन के मामले में श्रीहनुमान चालीसा ‘‘स्वभाव’’ पर जोर देती है।

व्यवहार से स्वभाव बनना आज के समय की रीत है। जबकि होना चाहिए स्वभाव से व्यवहार बने। जिसका स्वभाव सधा है उसका हर व्यवहार सर्वप्रिय और सर्वस्वीकृत होता है। स्वभाव को कैसे साधा जाए, ऐसे जीवन-प्रंबधन के सारे सूत्र हैं श्रीहनुमान चालीसा की प्रत्येक पंक्ति में.....

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