लेख-निबंध >> अमावस्या के तारे अमावस्या के तारेकिसनसिंह चावड़ा
|
377 पाठक हैं |
पूरे ब्रह्मांड को नापने के लिए अत्यंत तेज गति से मनुष्य उद्यत हो रहा है। उसे मद्देनजर रखते हुए कहें तो राष्ट्रीयता तो ठीक, अपितु, ‘जय जगत्’ सूत्र भी पुरातन होता जा रहा है।
|
लोगों की राय
No reviews for this book