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गृहभंग

भैरप्पा

प्रकाशक : शब्दकार प्रकाशित वर्ष : 1986
पृष्ठ :463
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3356
आईएसबीएन :00-0000-00-0

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इस उपन्यास की कथावस्तु तिपटूर और चन्नपट्टण तालुका प्रदेशों में 1920 से 40-50 की अवधि में घटी घटना है। ‘गृहभंग’ का प्रथम अध्याय पटवारी रामण्य के परिवार के चित्रण से प्रारंभ होता है। गंगम्मा विधवा है। उसे संस्कृति की गंध तक नहीं। उसकी जबान से निकलने वाला हर शब्द ‘गृहभंग’ का मूल कारण बनता है।

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