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अमर चित्र कथा हिन्दी >> अभिमन्यु

अभिमन्यु

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3366
आईएसबीएन :81-7508-465-0

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अभिमन्यु

Abhimanyu -A Hindi Book by Anant Pai - अभिमन्यु - अनन्त पई

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अभिमन्यु उस तारे के समान है जो कुछ क्षणों के लिए आकाश को देदीप्यमान कर के विलीन हो जाता है। वह बहुत थोड़ी देर के लिए महाभारत में सामने आता है और अपनी अमर गौरव-गाथा छोड़ कर चला जाता है।
अभिमन्यु वीर अर्जुन का पुत्र था। उनकी माता, सुभद्रा, भगवान् कृष्ण की बहन थी। ऐसे महान् व्यक्तियों के सान्निध्य में रह कर यदि वह अनजाना रह जाता है तो कोई अनहोनी बात न होती। परन्तु उसने छोटी-सी उम्र में अपनी वीरता से उस युग के महारथियों में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया।

अभिमन्यु के बचपन के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं है। उसका विवाह उत्तरा से हुआ। यह तथ्य भी अर्जुन के व्यक्तित्व की ओट में छिप गया था। परन्तु कुरुक्षेत्र के मैदान में उसकी वास्तविकता प्रकाश में आयी। युधिष्ठिर की आज्ञा का पालन करने में उसकी नम्रता, साक्षात्, मृत्यु के मुँह में जाने की उसकी कर्त्तव्य-परायणता तथा शत्रु के सामने प्रदर्शित उसकी शूरवीरता-इन गुणों ने उसे पाण्डवों के पक्ष का सबसे महान वीर सिद्ध किया।
उस किशोर नर-सिंह को कौरवों के पक्ष के सात महारथी मिल कर ही परास्त कर पाये थे। मानव-जाति की गौरव-गाथाओं में बहुत कम ऐसे उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने अभिमन्यु के समान छोटी-सी उम्र में इतना गौरव प्राप्त किया हो।


अभिमन्यु


वीर अर्जुन और कृष्ण की बहन, सुभद्रा के पुत्र, अभिमन्यु ने महाभारत में जो शौर्य दिखाया उसके कारण उसका नाम अमर है।

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