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खिड़कियाँ

अशोक चक्रधर

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :173
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3461
आईएसबीएन :81-7182-956-2

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प्रस्तुत है गीत संकलन....

Khidkiyen

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गूँजे गगन में,महके पवन में, हर एक मन में सद्भावना।
समय की रवानी, फतह की कहानी,धरा स्वाभिमानी,जवानी से है।
गरिमा का पानी, ये गौरव निशानी, सुखी जिंदगानी, जवानी से है।
मधुर बोल बोले, युवामन की हो ले, मिलन द्वार खोले, संभावना।

सद्भावना गीत


गूंजे गगन में,
महके पवन में
हर एक मन में

-सद्भावना।



मौसम की बाहें,
दिशा और राहें,
सब हमसे चाहें

-सद्भावना।



घर की हिफ़ाज़त
पड़ौसी की चाहत,
हरेक दिल को राहत,
-तभी तो मिले,



हटे सब अंधेरा,
ये कुहरा घनेरा,
समुज्जवल सवेरा

-तभी तो मिले,



जब हर हृदय में
पराजय-विजय में
सद्भाव लय में

-हो साधना।


गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में

-सद्भावना।



समय की रवानी,
फतह की कहानी,
धरा स्वाभिमानी,

-जवानी से है।



गरिमा का पानी,
ये गौरव निशानी,
सूखी ज़िंदगानी,

-जवानी से है।



मधुर बोल बोले,
युवामन की हो ले,
मिलन द्वार खोले,

-संभावना।



गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में

-सद्भावना।



हमें जिसने बख़्शा,
भविष्यत् का नक्शा,
समय को सुरक्षा

-उसी से मिली।



ज़रा कम न होती,
कभी जो न सोती,
दिये की ये जोती,

-उसी से मिली।



नफ़रत थमेगी,
मुहब्बत रमेगी,
ये धरती बनेगी,

-दिव्यांगना।



गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में

-सद्भावना।


मौसम की बाहें,
दिशा और राहें,
सब हमसे चाहें,

-सद्भावना।


झूम रही बालियां


रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।
    फल और फूलों से,
    पटरी के झूलों से
खाय हिचकोले मगन भईं डालियां।
रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।

ऋतु है बसंती ये
बड़ी रसवंती ये।
कोयलिया कूक रही,
जादू सा फूंक रही।
सखियां हैं चुनमुन है,
पायलों की रुनझुन है।
मस्ती में जवानी है,
अदा मस्तानी है।
चुनरी है गोटे हैं,
झूला है, झोटे हैं।
घंटी बजी ख़तरों की,
टोली आई भंवरों की।
धूल नहीं फांकेंगे,
बगिया में झांकेंगे।
बगिया में तितली है,
अरे ये तो इकली है।
नहीं नहीं और भी हैं,
अमियां पे बौर भी हैं।
तितली के नख़रे हैं,
भंवरे ये अखरे हैं।
भंवरे ने मुंह खोला,
सखियों से यों बोला—
हम भए जीजा कि तुम भईं सालियां।
रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।

बगिया में रास रचा,
बड़ा हड़कम्प मचा।
सुध-बुध भूला जी,
थम गया झूला जी।
कैसे घुस आए हो,
किसने बुलाए हो ?
हम नहीं मानें जी,
तुम्हें नहीं जानें जी !
काले हो कलूटे हो,
तुम सब झूठे हो।
मुंह धो के आ जाओ,
तितली को पा जाओ।
भंवरों की टोली ये,
सखियों से बोली ये—
कान्हा भी तो कारे थे,
मुरलिया वारे थे।
हम न अकेले हैं,
ख़ूब खाए-खेले हैं।
मुरली बजाएंगे,
सबको ले जाएंगे।
सब हैं तुम्हारे जी !
शरम के मारे जी,
सखियों के गालों पर छा गईं लालियां।
रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।

रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।
फल और फूलों से,
पटरी से झूलों से
खाय हिचकोले मगन भईं डालियां।
रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां।


छूटा गांव, छूटी गली


रोको, रोको !
ये डोली मेरी कहां चली,
छूटा-गाँव, छूटी गली।

रोक ले बाबुल, दौड़ के आजा, बहरे हुए कहार,
अंधे भी हैं ये, इन्हें न दीखें, तेरे मेरे अंसुओं की धार।
ये डोली मेरी कहां चली,
छूटा-गाँव, छूटी गली।

कपड़े सिलाए, गहने गढ़ाए, दिए तूने मखमल थान,
बेच के धरती, खोल के गैया, बांधा तूने सब सामान,
दान दहेज सहेज के सारा, राह भी दी अनजान,
मील के पत्थर कैसे बांचूं, दिया न अक्षर-ज्ञान।
गिरी है मुझ पर बिजली,
छूटा-गाँव, छूटी गली।
ये डोली मेरी कहां चली,
छूटा-गाँव, छूटी गली।


चिड़िया की उड़ान


चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन,
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल,
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।

वृक्ष की डाल दिखें
जंगल-ताल दिखें
खेतों में झूम रही
धान की बाल दिखें
गाँव-देहात दिखें, रात दिखे, प्रात दिखे,
खुल कर घूम यहां, यहां नहीं घर की घुटन।
चिड़िया तू जो मगन....

राह से राह जुड़ी
पहली ही बार उड़ी
भूल गई गैल-गली
जाने किस ओर मुड़ी

मुड़ गई जाने किधर, गई जिधर, देखा उधर,
देखा वहां खोल नयन-सुमन-सुमन, खिलता चमन।
चिड़िया तू जो मगन...

कोई पहचान नहीं
पथ का गुमान नहीं
मील के नहीं पत्थर
पांन के निशान नहीं
ना कोई चिंता फ़िक़र, डगर-डगर, जगर मगर,
पंख ले जाएं उसे बिना किए कोई जतन।

चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन,
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल,
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।


ज़रा मुस्कुरा तो दे


माना, तू अजनबी है
और मैं भी, अजनबी हूं
डरने की बात क्या है
ज़रा मुस्कुरा तो दे

हूं मैं भी एक इंसां
और तू भी एक इंसां
ऐसी भी बात क्या है
ज़रा मुस्कुरा तो दे !

ग़म की घटा घिरी है
तू भी है ग़मज़दा सा
रस्ता जुदा-जुदा है
ज़रा मुस्कुरा तो दे !

हां, तेरे लिए मेरा
और मेरे लिए तेरा
चेहरा नया-नया है
ज़रा मुस्कुरा तो दे।

तू सामने है मेरे
मैं सामने हूं तेरे
युं ही सामना हुआ है
ज़रा मुस्कुरा तो दे

मैं भी न मिलूं शायद
तू भी न मिले शायद
इतनी बड़ी दुनिया है
ज़रा मुस्कुरा तो दे।


नया साल हो
नया साल हो आप सबको मुबारक।


नव वर्ष की शुभकामनाएं
हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर।

दिलों में हो फागुन, दिशाओं में रुनझुन
हवाओं में मेहनत की गूंजे नई धुन
गगन जिसको गाए हवाओं से सुन-सुन
वही धुन मगन मन, सभी गुनगुनाएं।

नव वर्ष की शुभकामनाएं
हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर।
नया साल हो आप सबको मुबारक।

ये धरती हरी हो, उमंगों भरी हो
हरिक रुत में आशा की आसावरी हो
मिलन के सुरों से सजी बांसुरी हो
अमन हो चमन में, सुमन मुस्कुराएं।

नव वर्ष की शुभकामनाएं
हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर।
नया साल हो आप सबको मुबारक।

न धुन मातमी हो न कोई ग़मी हो
न मन में उदासी, न धन में कमी हो
न इच्छा मरे जो कि मन में रमी हो
साकार हों सब मधुर कल्पनाएं।
नव वर्ष की शुभकामनाएं
हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर।
नया साल हो आप सबको मुबारक।


नई भोर
कल जो नई भोर होगी


खुशी से सराबोर होगी
कहेगी मुबारक मुबारक
कहेगी बधाई बधाई

आज की रंगीन हलचल
दिल कमल को खिला गई
मस्त मेला मिलन बेला
दिल से दिल को मिला गई
रात रानी की महक
हर ओर होगी
कल जो नई भोर होगी
खुशी से सराबोर होगी।
कहेगी बधाई बधाई !

चांदनी इस नील नभ में
नव उमंग चढ़ा गई
और ऊपर और ऊपर
मन पतंग उड़ा गई
सुबह के कोमल करों
में डोर होगी
कल जो नई भोर होगी
खुशी से सराबोर होगी।
कहेगी बधाई बधाई !

यामिनी सबके हृदय में
अमृत कोष बना गई
हीर कनियों सी दमकती
मधुर ओस बना गई
स्नेह से भीगी सुबह की
पोर होगी
कल जो नई भोर होगी
खुशी से सराबोर होगी।
कहेगी बधाई बधाई





 

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