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आचार्य श्रीराम शर्मा >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 372
आईएसबीएन :00-000-00

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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।


नाक


प्राचीन समय में ग्रीक तथा भारतीय मूर्तिकारों ने मूर्ति निर्माण के लिए कुछ नियम बना रक्खे थे। उन नियमों के अनुसार वे नाक को इस प्रकार बनाते थे कि जितना ऊँचा माथा हो उतनी ही नाक की लम्बाई रहे, ऑख जितनी लम्बी हो उतनी ही चौड़ी नाक की नोंक रहे, जितना अन्तर दोनों भौंहों के बीच में हो उतनी ही नाक की मोटाई रहे। आकृति विद्या के अनुसार यह नापतौल बहुत ही सद्गुणी, शक्तिवान्, बुद्धिमान, बलवान तथा भाग्यावान व्यक्ति की है। यदि तीन में से एक दो बातें भी मिलती हों तो समझना चाहिए कि यह व्यक्ति उतने अंशों में उत्तम गुण धारण किए हुए है।

बड़े चेहरे पर छोटी नाक या छोटे चेहरे पर बड़ी नाक इस तरह का बैडौलपन चरित्र में किसी प्रकार की कमी बताता है। पतली नाक के बड़े नथुने, मोटी, नाक के छोटे नथुने चौड़ाई अधिक और लम्बाई कम, लम्बाई अधिक चौड़ाई कम इस प्रकार की कोमल बातें भी चरित्र में किन्हीं दोषों और त्रुटियों का होना प्रकट करती है।

सीधी, पतली, लम्बी तथा समानान्तर नाक शुद्ध चरित्र, मान-मर्यादा की रक्षा, कला प्रियता तथा उत्साह की सूचक है, परन्तु पतली और लम्बी होते हुए भी यदि वह टेढ़ी, गड्ढेदार, माँस रहित तथा बेडौल हो तो खुदगर्जी, निष्ठुरता तथा रूखापन जाहिर करती है।

किसी की नाक की नोंक नीचे की ओर इस प्रकार झुकी होती है कि नासिका के छिद्रों का भीतरी भाग बिल्कुल नहीं दिखाई पड़ता, किसी की नाक की नोंक कुछ ऊँची होती है जिसके नासिका के छिद्रों के भीतर का कुछ भाग दीख पड़ता है यह दोनों ही  अपने कुछ विषेष अर्थ छिपाए होती हैं।

नीचे की ओर झुकी नोंक वाली नाक, उदासीन स्वभाव आचरण हीनता, पर निन्दा में रुचि होने की सूचना देती है किन्तु ऊँची नाक से चपटापन, विनोद प्रियता, हँसोड़पन, मनमानी करने में रुचि, चतुरता तथा व्यवहार का होना प्रकट होता है, ऐसे लोग हर किसी को प्रिय लगने वाले होते हैं।

चिपटी हुई नाक न तो देखने में कुछ अच्छी मालूम पड़ती है, न ऐसे लोगों का स्वभाव ही कुछ उत्तम होता है। ऐसी नाक की जड़ यदि कुछ दबी हुई हो तब तो उस आदमी को बहुत ही छोटे दर्जे का आदमी होना चाहिए। हाँ, यदि चिपटी नाक बिल्कुल सीधी तथा समानाकार चली आवे तो ऐसे व्यक्ति से विशिष्ट कार्यों का संपादन कर्ता, कलाकार, तथा वाक् पटु होने की आशा की जा सकती है। चिपटी नाक के ऊपर यदि भौंहें झुकी हुई हों औरे माथ। आगे निकल रहा हो तो यह अन्वेषक, विचारशील, शोध करने वाला तथा दूरदर्शी होने का चिह्न समझना चाहिए।

औसत दर्जे की नाक का बीच का हिस्सा यदि मोटा हो तो विद्या में रुचि, अध्ययन, स्वाध्याय और मनन में दिलचस्पी होना जाहिर होता है। ऐसी नाक वाले पत्र लिखने की कला में बहुत निपुण होते हैं। मोटी नाक वाले धनी, गुणवान, कमाऊ तथा प्रवासी जीवन बिताने वाले होते हैं।

नाक के ऊपर वाले भाग के साथ-साथ नथुनों की रचना पर भी दृष्टिपात करना चाहिए। देखा जाता है कि कुछ पिचके हुए से नथुनों वाले डरपोक और कमजोर स्वभाव के होते हैं, चौड़े और फूले हुए नथुने भावुकता तथा कामुकता की अधिकता प्रकट करते हैं और बताते हैं कि ऐसा व्यक्ति छोटी बात को बहुत बड़ी करके मानने वाला होता है।

पैने तथा नुकीले नथुने वाले खुदगर्ज और घमण्डी होते हैं तथा दूसरों के मामले में अपनी टाँग अड़ाने में बड़ी दिलचस्पी लेते हैं। मोटे, भारी और अधिक माँस वाले नथुने समझदारी, ईमानदारी, बफादारी, होशियारी तथा बीमारी की अधिकता प्रकट करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की आमदनी व्यय खर्च दोनों ही बढ़े-चढ़े होते हैं।

सूखी-सी नाक वाले दीर्घायु होते हैं। जिसकी नाक बीच में बैठी हुई हो वह पर-स्त्री गामी, मधुर भाषी तथा बहुत कमाने वाले होते हैं। जिसकी नाक अपने अंगुल से साढ़े तीन अंगुल की होती है वह अपने ही पुरुषार्थ से धन पैदा करता है, किन्तु सन्तान की ओर से दुखी रहता है। जिसकी नाक तीन अंगुल लम्बी हो वह दीर्घायु, किन्तु साधारण चित्त वाला होगा। चार अंगुल नाक वाले मूर्ख और लड़ाके होते हैं। ढाई अंगुल की नाक वाले दरिद्री होते हैं। भाग्यवानों को प्राय: एक साथ दो छींक आती हैं।

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    अनुक्रम

  1. चेहरा, आन्तरिक स्थिति का दर्पण है
  2. आकृति विज्ञान का यही आधार है
  3. बाल
  4. नेत्र
  5. भौंहें
  6. नाक
  7. दाँत
  8. होंठ
  9. गर्दन
  10. कान
  11. मस्तक
  12. गाल
  13. कंधे
  14. पीठ
  15. छाती
  16. पेट
  17. बाहें
  18. रहन-सहन

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