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आचार्य श्रीराम शर्मा >> असामान्य एवं विलक्षण किन्तु संभव और सुलभ

असामान्य एवं विलक्षण किन्तु संभव और सुलभ

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4243
आईएसबीएन :0000

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विलक्षण किन्तु संभव और सुलभ

Asamanya Evam Vilakshan Kintu Sambhav Aur Sulabh

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सर्प के भय या हिंसक जानवर के डर से कई व्यक्ति जो सामान्य स्थिति में एक फिट भी नहीं उछल सकते थे, भयावेश में तीन-तीन मीटर ऊँची दीवार कूद जाते हैं ; इस तरह की घटनाएँ बताती हैं कि मनुष्य शरीर की सामर्थ्य वैज्ञानिक स्तर पर अब तक हुई जानकारी से बहुत अधिक है। यह अद्भुत सामर्थ्य बहुधा सुप्त स्थिति में पड़ी रहती है।

शरीर में कई सूक्ष्म तथा अत्यन्त महात्वपूर्ण संस्थान हैं। उनमें भरी हुई शक्तियों को जाग्रत कर मनुष्य भीम की तरह बलवान, नागार्जुन की तरह रसायनज्ञ, संजय की तरह दिव्य-दृष्टि सम्पन्न, अर्जुन की तरह लोक-लोकांतर में आने-जाने की क्षमता वाला, रामकृष्ण की तरह परमहंस और गुरु गोरखानाथ की तरह सिद्धि सम्पन्न बन सकता है।

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