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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4267
आईएसबीएन :00000

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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक


लौकिक जीवन में आरोग्य, धन-संपत्ति और स्नेह-सौजन्य-इन तीन विभूतियों को सुख-शांति का आधार माना गया है। जिनको इन तीन विभूतियों की प्राप्ति हो जाती है, वह निश्चित रूप से अपने को सुखी और संतुष्ट अनुभव करता है। यह तीनों विभूतियाँ अध्यात्म की साधारण-सी सिद्धियाँ हैं। कोई भी अध्यात्मवादी इन्हें बड़ी सरलता से अनायास ही प्राप्त कर सकता है। अध्यात्मवाद के सत्परिणाम चिरप्रसिद्ध हैं। उसके आधार पर लौकिक तथा पारलौकिक, भौतिक एवं आत्मिक दोनों प्रकार की सुख-शांति प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक विचारधारा और तदनुरूप आचरण करने वाले को शांति, संतोष, हर्ष-उल्लास, निर्भयता और प्रसन्नता की स्थिति प्राप्त होना अनिवार्य है। यद्यपि यह स्थिति आत्मभूत भी होती है तथापि आध्यात्मिक चरित्र वाला व्यक्ति भौतिक-साधनों से भी वंचित नहीं रहता। जब किसी सत्पुरुष को उपरोक्त स्थिति प्राप्त ही होनी है तो उसके साथ उसके स्थूल साधनों का जुड़ा रहना भी अनिवार्य है, जिस प्रकार आकार के साथ उसका प्रकार जुड़ा रहता है। इस प्रकार अध्यात्मवादी अंतर और बाह्य दोनों ओर से सुखी और संपन्न बना रहता है।

अपनी और अपने समाज की वर्तमान अधोदशा का सुधार करने के लिए हम सबको पूर्वजों से निर्देशित आत्मा के महाविज्ञान अध्यात्मवाद को अपने व्यावहारिक जीवन में सिद्ध करते चलना चाहिए। इससे भौतिक उन्नति के साथ-साथ आत्मिक उन्नति भी होती चलेगी और एक दिन हम सब अपने परमकल्याण की प्राप्ति कर लेंगे।



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    अनुक्रम

  1. भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
  2. क्या यही हमारी राय है?
  3. भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
  4. भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
  5. अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
  6. अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
  7. अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
  8. आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
  9. अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
  10. अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
  11. हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
  12. आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
  13. लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
  14. अध्यात्म ही है सब कुछ
  15. आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
  16. लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
  17. अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
  18. आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
  19. आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
  20. आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
  21. आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
  22. आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
  23. अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
  24. आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
  25. अपने अतीत को भूलिए नहीं
  26. महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न

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