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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4267
आईएसबीएन :00000

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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक


प्रकृति विज्ञान के महापंडित डॉक्टर इ० बी० जेम्स ने अनेक तर्क और प्रमाणों से सिद्ध किया है कि 'योग्यतम का चुनाव' प्रकृति का नियम है। जो बलवान् है उसकी रक्षा के लिए अनेक कमजोरों को वह नष्ट हो जाने देती है। आँधी, ओले, तूफान, कमजोर पेड़ों को उखाड़ फेंकते हैं, किंतु बलवान् वृक्ष जहाँ के तहाँ दृढ़तापूर्वक खड़े रहते हैं। बीमारी, गरीबी, लड़ाई के संघर्ष में कमजोर पिस जाते हैं, किंतु बलवान उन आघातों को सह जाते हैं। बड़ी मछली की जीवन रक्षा के लिए हजारों छोटी मछलियों को प्राण देने पड़ते हैं, बड़े पेड़ को खुराक देने के लिए छोटे पौधों को भूखा मर जाना पड़ता है, एक पशु का पेट भरने के लिए घास-पात की असंख्य वनस्पति नष्ट हो जाती हैं, सिंह की जीवन रक्षा के लिए अनेक पशु अपने जीवन से हाथ धोते हैं। यह कड़वी सच्चाई अपने निष्ठुर स्वर में घोषणा करती है कि जीवन एक संघर्ष है, इसमें वे ही लोग स्थिर रहेंगे, जो अपने को सब दृष्टियों से बलवान बनायेंगे। यह वीर भोग्या वसुंधरा निर्बलों के लिए नहीं है, यह तो पराक्रमियों की क्रीड़ाभूमि है। यहाँ पुरुषार्थियों को विजयमाल पहनाई जाती है और निर्बलों को निष्ठुरतापूर्वक निकाल बाहर किया जाता है।

सावधान होइये, गफलत को त्याग दीजिए, कहीं ऐसा न हो कि आप शक्ति-संपादन की ओर से उपेक्षा करके चैन करने में रस लेने लगें और प्रकृति के निष्ठुर नियम आपको निर्बल पाकर दबोच दें। कहीं ऐसी स्थिति में न पड़ जाएँ कि निर्बलता के दंड स्वरूप असह्य वेदनाओं की चक्की में पिसने को विवश होना पड़े। इसलिए पहले से ही सजग रहिये। आत्मरक्षा के लिए सावधान होइए, जीवन संग्राम में अपने को बर्बाद होने से बचाने के लिए शक्ति का संपादन कीजिये, बलवान् बनिए, सुदृढ़ आधारों पर अपने को खड़ा कीजिए।

अध्यात्मवाद कहता है कि ईश्वर की आज्ञा का पालन यह है कि आप आगे चलें, ऊँचे उठें। आत्मरक्षा के लिए दृढ़ता चाहिए, विपत्ति से बचने के लिए मजबूती चाहिए, भोग-ऐश्वर्यों का सुख भोगने के लिए शक्ति चाहिए, परमार्थ प्राप्ति के लिए तेज चाहिए। दशों दिशाओं की एक ही पुकार है-आगे बढ़िये, अधिक इकट्ठा कीजिये। हम कहते हैं कि आत्मोन्नति कीजिए ईश्वर को प्राप्त करने की साधनाओं को जारी रखिए, उस महान् पथ को पूरा करने की योग्यताओं को बनाये रखने के लिए सासारिक उन्नतियों को एकत्रित कीजिए; उच्च प्रतिष्ठित, शक्तिशाली और वैभववान् बनने की दिशा में सदैव प्रगति करते रहिए।

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    अनुक्रम

  1. भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
  2. क्या यही हमारी राय है?
  3. भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
  4. भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
  5. अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
  6. अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
  7. अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
  8. आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
  9. अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
  10. अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
  11. हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
  12. आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
  13. लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
  14. अध्यात्म ही है सब कुछ
  15. आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
  16. लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
  17. अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
  18. आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
  19. आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
  20. आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
  21. आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
  22. आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
  23. अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
  24. आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
  25. अपने अतीत को भूलिए नहीं
  26. महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न

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