लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> राम गुन गाऊँ

राम गुन गाऊँ

श्रीरामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : रामायणम् ट्रस्ट प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :88
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4358
आईएसबीएन :0000

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

197 पाठक हैं

महाराजश्री द्वारा विरचित काव्य संग्रह.....

मन्थन बिना ही मिला अमृत असीम ऐसा...नित्य बाँटता हूँ और सुयश कमाता हूँ। लोग कहते हैं...‘‘धन्य चिन्तन तुम्हारा शुचि’’। सत्य कहता हूँ तो विनम्र कहलाता हूँ।। वन्दित हुआ हूँ, अभिनन्दित हुआ हूँ...,गुण मण्डित हुआ हूँ, ‘युग तुलसी’ कहाता हूँ। किन्तु राम-किकंर बनाओ करुणा निधान...नाम की बचाओ लाज विरद सुनाता हूँ।।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book