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फूलों का राजकुमार

दिनेश चमोला

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4496
आईएसबीएन :81-7043-367-x

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इसमें 6 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।

Phulon Ka Rajkumar A Hindi Book by DR. Dinesh Chamola

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

फूलों का राजकुमार

गिरि प्रदेश के यशस्वी राजा थे कुमार गंधर्व। वे बहुत ही दयालु एवं परोपकारी थे। महाराज की सुन्दर रूपवती कन्या थी-सोमप्रभा। महाराज प्रत्येक वर्ष राजकुमारी सोमप्रभा का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाते थे। राजकुमारी कुछ बड़ी हुई तो उसे घुड़सवारी का शौक हो गया। वह पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं से बहुत प्रेम करती थी। महाराज कुमार गंधर्व स्वयं सोमप्रभा के साथ घुड़सवारी करते लेकिन वे उसकी प्रतिभा को देखकर दंग रह जाते।

सोमप्रभा को बसन्त ऋतु में घुड़सवारी करने में बहुत आनन्द आता। कभी-कभी वह अपनी घो़ड़ी सुनयना की लगाम कस कर स्वयं ही जंगल की ओर चल पड़ती। जब वह फूलों के बीच घुड़सवारी करती तो स्वयं को स्वर्ग के साम्राज्य में समझती और सचमुच लगती भी देवपरी से कम न थी।

एक दिन घुड़सवारी करते-करते राजकुमारी जब बहुत दूर निकल गयी तो उसने देखा कि वह एक सुन्दर फूलों के साम्राज्य में पहुँच गयी है। वह धरती पर ऐसा स्वर्ग देखकर बहुत हैरान हो गई है। वह आज तक इसे क्यों न देख पाई, वह अत्यन्त प्रसन्न थी। घो़ड़ी भी प्रसन्नता के मारे हवा से बातें कर रही थी। रंग-बिरंगे फूल मानों खुशी-खुशी से सोमप्रभा का स्वागत कर रहे हों।

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