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देश-विदेश की सचित्र कहानियाँ - 3 भागों में

राम वशिष्ठ

प्रकाशक : सुयोग्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4503
आईएसबीएन :0000

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देश-विदेश की सचित्र बाल कहानियाँ...

Desh-Videsh Ki Sachitra Kahaniyan-bhag-1-A Hindi Book by Ram Vashishtha

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

धोखेबाज को सजा

एक गाँव में दो किसान रहते थे। एक का नाम अनासी औऱ दूसरे का नाम मवासी था। वे दोनों बड़े मित्र थे और उनके खेत भी पास-पास थे। खेती करने में उनके बराबर कोई किसान चतुर न था। हर साल वे मेहनत करते और अच्छी फसल पैदा करते। एक बार ऐसा हुआ कि अनासी और मवासी दोनों ने अपने-अपने खेत बो दिए किन्तु वर्षा न हुई। बीज जमीन के अन्दर ही पड़े रहे। दोनों बड़े चिन्तित हुए, लेकिन उनके पास ऐसा कोई साधन नहीं था जिससे वे अपने खेतों की सिंचाईं करते।

एक दिन मवासी अपने खेतों के पास इसी चिन्ता में बैठा हुआ था। अचानक ही एक बौना उसके पास आया और उसकी उदासी का कारण पूछने लगा। मवासी ने कहा मेरे खेत पानी की कमी के कारण सूख गए हैं और अगर पानी न पड़ा तो मैं और मेरे घर वाले भूखे मर जाएँगे ।’’

बौने ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे खेत में पानी की वर्षा कर सकता हूँ। तुम जाकर जंगल से आम की दो छोटी-छोटी टहनी ले आओ। जब मैं एक गाना गाऊँ तो तुम धीरे-धीरे मेरी पीठ पर इन दोनों टहनियों के पत्ते मारना।’’

मवासी जंगल की ओर भागा और टहनी ले आया। बौने ने एक गाना गाया। मवासी ने उसकी पीठ पर धीरे-धीरे टहनियों को मारना शुरू किया। अभी दो मिनट भी न होने पाए थे कि मवासी के खेत पर पानी पड़ने लगा। थोड़ी देर में उसका सब खेत पानी में भर गया। मवासी बहुत खुश हुआ और बोने को धन्यवाद दिया। बौना इसके बाद चला गया। दूसरे दिन ही मवासी के खेतों में पौधे उगने लगे। यह देखकर अनासी उनके पास आया और कहा, ‘‘क्या कारण है कि तुम्हारे खेत तो पानी से भर गए और मेरे खेत ज्यों-के-त्यों सूखे रहे ?’’...

पानी पीने वाला चोर

एक बार ऐसा हुआ कि वर्षा बिलकुल नहीं हुई। जंगल के सब जानवर प्यास से मरने लगे और इकट्ठे होकर जंगल के राजा शेर के पास पहुँचे और कहा, ‘कोई ऐसा उपाय निकालिए जिससे हम लोगों की जान बचे।’’

शेर ने बहुत सोचा लेकिन उसको कोई उपाय नहीं सूझ पाया। अन्त में रीछ और गीदड़ ने सलाह दी कि एक गहरा तालाब खोदना चाहिए। तालाब की गहराई बीच में कुएँ की गहराई के बराबर हो ताकि उसमें पानी जमीन के अन्दर से निकल आए। यह सलाह सबको पसन्द आई। रीछ और गीदड़ इस बात को सुझाने वाले थे इसलिए सब जानवरों ने कहा, ‘‘सबसे पहले खुदाई का काम रीछ करेगा और सबसे वाद में गीदड़।’’

रीछ ने सबसे पहले फावड़ा उठाया और खुदाई करना शुरू किया। उसके बाद अन्य जानवर भी अपनी-अपनी बारी से खोदने लगे। अन्त में अब गीदड़ की बारी आई तब गीदड़ राम वहाँ नजर नहीं आए। सब जगह देखा किन्तु गीदड कहीं नहीं मिला। लाचार होकर और जानवरों ने उसके बदले की खुदाई की।

जब तालाब में पानी आ गया तो शेर ने कहा, ‘‘ इसमें सब लोग पानी पी सकते हैं। किन्तु गीदड़ को पानी नहीं पीने दिया जाएगा। अगर वह पानी पीने आए तो उसे पकड़ लिया जाए और मेरे पास लाया जाए।

गीदड़ को इस बात का पता किसी प्रकार चल गया। उसने तय किया कि उसे सुबह अँधरे में ही चुपचाप पानी पी लेना चाहिए । वह सुबह ही उठता और चुपचाप पानी पीकर लौट आता बहुत दिनों तक वह इसी प्रकार करता रहा और किसी को भी यह बात मालूम नहीं पड़ी।...

धोखेबाज़ गीदड़

एक जंगल में एक गीदड़ और शेर रहते थे। एक बार उन दोनों में तय हुआ कि वे दोनों साथ-साथ शिकार करेंगे। शेर ने गीदड़ से कहा अगर बड़ा शिकार होगा। तब तो मैं उसको ले लूंगा और छोटा शिकार मिला तो तुम उसको ले लेना। इस प्रकार तय करके दोनों शिकार पर चले। उस दिन उन्हें शिकार में एक बैल मिला, जिसका क़ायदे से शेर मालिक था । शेर ने गीदड़ से कहा, ‘‘तुम तनिक मेरे बच्चों को खबर पहुँचा दो कि वे बैल को उठाकर ले जाएँ, तब तक मैं तुम्हारे लिए छोटा शिकार मारकर लाता हूं।’’

चालाक गीदड़ शेर के यहाँ न जाकर अपने यहाँ पहुँचा और अपने बच्चों से और बीवी से बोला, ‘‘चलो, ज़रा मेरे साथ चलो।
मैं तुम्हें एक बैल बताता हूँ तुम उसे उठाकर घर ले आओ और कई दिन तक खाना।’’
गीदड़ के घर वालों ने ज़रा-सी देर में पूरे बैल को अपने घर लाकर रख दिया। थोडी़ देर में शेर एक छोटे हिरन को मारकर लाया और लाकर गीदड़ को दिया और कहा, ‘‘लो यह तुम्हारे लिए है मेरा शिकार तो घर पर तैयार ही है । तुम इसे ले जाओ और अपने घर पर खाना।’’

गीदड़ हिरन को लेकर अपने घर खुश होता हुआ लौटा। उधर शेर जब अपने घर पहुँचा तो उसने शेरनी से कहा, ‘‘आज तो तुम लोग भूखे न रहे होंगे?’’
शेरनी ने बिगड़कर कहा, ‘‘आज तो तुमने चार-पाँच शिकार मेरे लिए और मेरे बच्चों के लिए भेज दिए थे न ! ’’
शेर ने कहा तुम लोग बैल को उठा तो लाये हो।’’
शेरनी ने कहा, ‘‘हमें तो कुछ भी पता नहीं।’’
यह सुनकर शेर गीदड़ की सब चालाकी समझ गया।...

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