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ईश्वर की ओर

नैन्सी म्रमर

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4697
आईएसबीएन :81-8419-192-8

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आत्मा का आलिंगन करें, जीवन को बदलें

Iswar Ki Or

प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश

पुस्तक के बारे में....

इस पुस्तक में डॉ म्रमर ने स्प्रिचुअल फिटनेस का बहुत ही प्रभावी कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। आम दिनचर्या पर उन्होंने जितना जोर दिया है, मैं उसका कायल हूं। यह हमारे आत्मविश्वास और आदर्श से काफी अलग है। मैं उन सभी को यह पुस्तक पढ़ने की सलाह दूंगा जो अपनी आत्मा की गहराई में झांकना चाहते हैं फिर भले ही वह बीमारी के कारण हो, जीवन की चुनौतियों के कारण हो या फिर जीवन में इसकी महत्ता के कारण।
-सर हेलन प्रेजेन, सी.एस.जे.
लेखक, डेड मैन वॉकिंग


मनोविज्ञान व आध्यात्मिकता के इस समन्वय से नैंसी म्रमर अपने पाठकों को अपने जीवन को खुशहाल बनाने के एक व्यावहारिक कार्यक्रम से परिचित कराती हैं। यह पुस्तक किसी भी मत या सम्प्रदाय को मानने वाले, यहां तक कि किसी भी धर्म में विश्वास न करने वाले के लिए भी समान रूप से उपयोगी है। इससे दी गई प्रार्थना व व्यायाम हमारी आत्मा को पोषित करते हैं और दिन पर दिन हमारे व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
-स्टेनली क्रिपनर, पीएच.डी.
सह लेखिका, एक्सट्राआर्डिनरी ड्रीम एंडहाउ टू यूज देम
सेब्रुक गैज्युएट स्कूल एंड रिसर्च सेंटर में मनोविज्ञान की प्रोफेसर


इस पुस्तक में डॉ म्रमर ने दैनिक अभ्यास की महत्ता पर जोर दिया है और बताया कि जिस तरह कोई शारीरिक तंदुरुस्ती पा लेता है, उसी प्रकार आध्यात्मिक चुस्ती भी पाई जा सकती है। दृढ़ता, प्राथमिकताएं और संकल्पबद्धता को इसमें समान रूप से प्रयोग किया गया है।
-लेविस महल-मेडरोना, एम.डी. पीएच. डी.
लेखक, कॉइटे मेडिसिन


स्प्रिचुअल फिटनेस आध्यात्मिक रुपांतरण की एक अत्यधिक असरकारी व गहन प्रक्रिया है स्प्रिचुअल फिटनेस की जो राह नैंसी ने दिखाई है वह आपके दिमाग, शरीर और भावनाओं को राहत पहुंचाती है और आध्यात्मिक दुनिया में आपकी उपस्थिति दर्ज कराती है। यह पुस्तक प्रेरणादायी व प्रभावशाली है।
- सेजैन केपलेन
लेखक, स्पीकर कंसल्टेंट


आभार


मैं धन्यवाद देना चाहती हूं जीसस, महात्मा बुद्ध, अब्राहम, मूसा, मुहम्मद और उन सारे आध्यात्मिक गुरुओं को जिन्होंने मुझे ईश्वर तक के इस सफर पर जाने के लिए प्रेरित किया। मुझे आध्यात्मिक तंदरुस्ती के सफर पर ले जाने के लिए लिंडा हिलार्ड को मैं धन्यवाद देना चाहूंगी। मेरा मार्गदर्शन करने के लिए ली गटकिंड की मैं आभारी रहूंगी। इरेने प्रोकोप ने यह पुस्तक लिखने में मेरी मदद की। उनका आभार मानती हूं। लिंडा कार्डिमेन हमेशा मेरे अंदर एक विश्वास पैदा करती रहीं और डॉ. केपर्स ने जरूरत के वक्त मुझे हर तरह की सहायता दी। इन दोनों का ही धन्यवाद।
और अंत में उन देवदूतों का आभार, जिन्होंने रेजमर्रा की जिंदगी में मुझे दिशा दिखाई।

लेखिका के बारे में


नैन्सी म्रमर (पेंसिल्वेनिया) एक लाइसेंस प्राप्त साइकॉलजिस्ट हैं जो होलिस्टिक साइकॉलजी में खास योग्यता रखती हैं। यह फिटनेस प्रोग्राम उनके 29 साल के अनुभवों पर आधारित है। म्रमर के रिलेक्सेशन प्रोग्राम को काफी प्रभावी माना गया है और इसे इंटरनेशनल स्तर पर मान्यता भी मिली हुई है। उन्होंने सारे यूरोप और अमेरिका में हुए सम्मेलनों और वहां के विश्वविद्यालयों में स्प्रिचुअल टैक्नीक सिखाई है।
स्प्रिचुअल फिटनेस का परिचय
इस पुस्तक का उपयोग कैसे और क्यों करें
वे कहते हैं कि हमारी आत्मा पहले ईश्वर से नहीं मिलती
    बल्कि यह प्यार का संसार ही है, जो हमें उस ओर ले जाता है।
-सोफी बर्नम


हमारी, आध्यात्मिक शक्ति से संपर्क की इच्छा और आध्यात्मिक शक्ति की हमसे संपर्क की इच्छा ही वह अदृश्य ताकत है, जो हमें बदलाव की ओर ले जाती है। यह बहुत कुछ तितली के उस लार्वा की तरह है, जो कि तितली बनना चाहता है हालांकि, अविकसित रूप में वह तितली ही है। हमारी मनोकामना ही हमें आध्यात्मिक बदलाव का अनुभव कराती है। हमारे इस अनुभव की ताकत हमारी आत्मा को हमारी प्राथमिकताओं के उच्चतम स्तर तक ले जाती है। शुक्र है भगवान ! हमारे जीवन के आध्यात्मिक सफर में ऐसा ही होता है।
इस यात्रा के लिए अभ्यास की जरूरत होती है, जो आपकी आत्मा में चेतना पैदा कर आपके दिल को ठीक करेगा, शांति लाएगा, आपके दिमाग का विस्तार करेगा और आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाएगा।
इस पुस्तक में मौजूद जानकारी आपके व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास में जबर्दस्त सहायता कर सकती है। आपका विकास और खुशी इस पर निर्भर कर सकता है।

एक साइकोथेरपिस्ट के रूप में मैं बड़ों और बच्चों के साथ पिछले 29 सालों से इस तकनीक का प्रयोग कर रही हूं। मुझे आध्यात्मिक जीवन से होने वाले फायदे का आभास है। साइकॉलजी के डॉक्टर के रूप में मैंने सम्मोहन, योग, ध्यान, कल्पनाएं, आने वाले कल का आभास, सपनों के अर्थ, चिकित्सकीय सोच, होलिस्टिक साइकोथरेपी को अपने प्रोग्राम में शामिल किया है। मैंने अपने अंदर की आवाज को सुनना सीखा, जीवन के मकसद को पहचाना, उसकी ओर बढ़ी, परिणाम पाए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। एक नर्सरी के बच्चे से लेकर ग्रैजुएट की छात्रा और वयस्क को सिखाने के बाद मैंने पाया कि यह शिक्षा बहुत कारगार है। मैंने इसके परिणामों पर मीडिया में भी चर्चा की है। वर्तमान में मैं एक लोकल टेलीविजन के साथ हेल्थ, एजुकेशन और फिटनेस पर प्रोग्राम तैयार कर रही हूं।
शिक्षाविद्, होलिस्टिक थैरपिस्ट, माता-पिता, अकेले लोग, शादीशुदा, फिजीशियन, नर्स और दूसरे लोग आध्यात्मिक तरीके से जीवन जीने में खास रुचि रखते हैं, उन्हें स्प्रिचुअल फिटनेस के प्रोग्राम से काफी लाभ हुआ है। जिन लोगों को किसी एक धर्म में जबर्दस्त विश्वास था, उनका इससे विश्वास और बढ़ा। वे लोग जिनका ईश्वर में विश्वास है, उन्होंने स्प्रिचुअल फिटनेस को जीवन के एक तरीके का रूप अपना लिया।

स्प्रिचुअल फिटनेस जीवन में अपने उद्देश्यों को पूरा करने में हमें मदद करती है। आत्म-सन्तुष्टि, मनोविज्ञान, स्वास्थ्य और रिश्तों से संबंधित हमारी समस्याओं में यह काफी मददगार साबित होती है। लोगों, स्वयं, आत्मा, से अपने संबंधों का परीक्षण हर क्षेत्र में महान सफलता के रास्ते खोलता है। यहां तक कि अपनी जिंदगी में सफलता को नई तरह से परिभाषित कर सकते हैं।
बच्चों के लिए स्प्रिचुअल फिटनेस का पाठ्यक्रम दुनिया भर में खास तौर पर अपनाया गया है और शोध बताते हैं कि यह बच्चों में तनाव के लक्षण कम करता है। अमेरिकन साइकॉलजी एसोसिएशन ने अपने महिला स्वाथ्स्य सम्मेलन में मुझे वयस्कों के प्रोग्राम के बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया। अनगिनत अस्पताल, स्कूल, अभिभावक, संगठन, एथलीट व अन्य अनेक व्यक्ति अपने विकास और सफलता के लिए इस टैक्नीक को अपना चुके हैं। यही कारण है जिनकी वजह से मैं यह सारी जानकारी इस पुस्तक के रूप में आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित हुई।
इस पुस्तक को पढ़ने के दौरान आप वह सुनना पसंद करेंगे, जो मौन है पर आपके लिए प्रासंगिक है लेकिन वह नहीं सुनेंगे जो आपके अनुभवों से जुड़ा नहीं है।

पुस्तक में दिए गए अभ्यास जिंदगी के आपके नजरिये से निष्क्रियता को समाप्त करते हैं व निराशावादिता, अविश्वास, नकारात्मकता और आपके अंदर के उन अवरोधों को मिटाते हैं जो आपके व्यक्तिगत आनंद में बाधा पहुँचाते हैं। वे अपनी आत्मा को जानने की आपकी राह में रुकावट बनते हैं।
स्प्रिचुअल फिटनेस की ओर का सफर हममें से अधिकांश के लिए जीवन भर जारी रहता है। आखिरकार जीवन का उद्देश्य है, अपने को जानना और उसकी ओर लौटना, अपने उच्च और उच्चतम की ओर लौटना।
अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए काफी क्षमताओं की जरूरत होती है। कई श्रेष्ठ उपकरण सफर के दौरान प्राप्त होते हैं। इनका उल्लेख में इसी किताब में करूंगी वे जो मुझे सर्वाधिक प्रभावी लगे और वे जो हमें आध्यात्मिकता के काफी करीब रखते हैं।

स्प्रिचुअल फिटनेस के मेरे सफर की शुरूआत एक इटैलियन कैथोलिक परिवार में हुई। मैंने अपने जीवन के शुरूआती सालों के दौरान महान आनंद की अनुभूति की। इस संसार में और इस शरीर में रहने से मुझे खुशी हो रही थी। मैंने अपनी आत्मा की सम्पूर्णता महसूस की। मैं उस अनुभूति के साथ बह रही थी जो मेरे अंदर थी लेकिन मुझसे कहीं बड़ी थी। बाद में मैंने जाना कि इस ऊर्जा का स्त्रोत मेरे अंदर मेरी आत्मा है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ मैंने आनंद से भरी अपनी आत्मा से संपर्क खो दिया था लेकिन इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलकर मैंने अपनी आत्मा को पुनः खोज लिया। इस सफर ने अपनी जिन्दगी के विभिन्न हिस्सों में मेरी मदद की। इसमें मुझे जिन उपायों से मदद मिली उन्हें इस पुस्तक के जरिए मैंने आपसे बांटा है। इन उपायों ने मुझे और मेरे जैसे अनेक लोगों को ताकत दी, रोशनी दी और इनका प्रयोग कई धर्म केंद्रित चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।

हम जहां जाना चाहते हैं, वहां हमें कई रास्ते ले जाएंगे। कई बार हम अपने धर्म के माध्यम से अपने उच्च होने का अनुभव करते हैं। इस पुस्तक में मैंने ऐसे अनेक धार्मिक अनुभव अपने आम रूप में दिए हुए हैं क्योंकि उनमें ईश्वर की उपस्थिति है और अक्सर आध्यात्मिकता का आविर्भाव पाया जाता है। इस सफर में हम स्वप्न, रंग, संगीत, ध्वनि, खानपान, व्यायाम, आत्म-सम्मोहन और कल्पना के जरिए अपनी राह से जुड़े रह सकते हैं। प्रार्थना और ध्यान इस राह में काफी हद तक नृत्य करते हुए चलना है और सहजबुद्धि व आत्म-जागरुकता विकास की चलती रहने वाली प्रक्रिया है।
आधुनिक आध्यात्मिकता में यह सहज बुद्धि का जागरुकता ध्यान के उद्देश्यों में से एक है। बौद्ध धर्म में आंतरिक शून्यता पर जोर दिया जाता है। जो भी राह आपकी योजना का हिस्सा है आपके लिए सही है। बाद में मैं आपको बताऊंगी कि किस तरह आत्म-सम्मान से आप अपने लिए सर्वश्रेष्ठ राह का चुनाव कर सकते हैं। मैं आध्यात्मिक चुस्ती के लिए इनमें से प्रत्येक उपकरण का परीक्षण करूंगी और देखूंगी कि कैसे ये आपकी मदद कर सकते हैं।

किसी एक तकनीक या प्रक्रिया को अपनाकर संपूर्ण आध्यात्मिक चुस्ती को नहीं पाया जा सकता। यह अनुभवों की राह पर एक ऐसा सफर है जो चुनाव के लिए हमारे सामने कई विकल्प पेश करता है। मैंने कई टैक्नीक पेश की हैं जिनका प्रभाव सर्वव्यापी है। इनका समन्वित प्रयोग स्वास्थ्य व दिमाग, शरीर और भावनाओं की फिटनेस के दरवाजे खोलता है। इनमें से किसी एक का अकेले प्रयोग करने की अपेक्षा सबका एक क्रमबद्ध तरीके से प्रयोग ज्यादा असरकारी और प्रभावी परिणाम देता है। आध्यात्मिक रूप से चुस्त होने की राह में कार्य करने के उन पुराने तरीकों को त्यागना होगा जो आपको वांछित या पूरा परिणाम नहीं देते। दूसरी तरफ आप अपने उन पुराने अनुभवों, शिक्षा व जागरुकता को साथ लेकर चल सकते हैं जो आपके लिए काम कर रहे हैं और आगे भी जिनसे आपको मदद मिलेगी। इस प्रकार इस किताब को पढ़ते समय आपके दिमाग में आपकी जिंदगी की समीक्षा होती जाएगी कि आपके पास ऐसा क्या है जिसने आपके लिए काम किया है और क्या ऐसा है जिसने आपके लिए काम नहीं किया।
जब मैं इस पुस्तक के जरिए आपको अपने आध्यात्मिक सफर के बारे में बताती हूं तो अपने व दूसरों के द्वारा अनुभव की गई वे कहानियां भी बताती हूं जो सहज बुद्धि, जागरुकता, आंतरिक संदेश, शरीर के बाहर के अनुभव और किसी अपने की मौत के बाद उससे संवाद से जुड़ी हुई हैं। ये अपने सफर में मुझे मिली कुछ अतिरिक्त चीजें हैं।

ये कहानियां आपस में गुंथकर एक ऐसा प्लान तैयार करती हैं जिसे अपना कर कोई भी आध्यात्मिक रूप से चुस्त और आनन्दित रह सकता है। स्प्रिचुअल फिटनेस भी दूसरी तरह की फिटनेस की तरह है। छह माह तक निष्क्रिय रहने के बाद आप अचानक बाहर निकल मैराथन के लिए नहीं चले जाते। यही बात आध्यात्मिक चुस्ती के लिए भी सही है। आप श्वसन और गति का प्रयोग कर अपने दिमाग को खाली करते हैं और शरीर की ऊर्जा को बाहर निकलते हैं। इससे आप वह जागरुकता और अनुभव पाते हैं जो आपको आंतरिक प्रकाश देते हैं और इसकी मदद से आपको संपूर्णता का अहसास होता है।
यह पुस्तक मेरी जिन्दगी में उस समय आई जब मैंने अपनी खुद की जिंदगी बचाने के लिए इन टैक्नीक का प्रयोग किया। पुस्तक के आखिरी अध्याय में आप समझ जाएंगे कि कैसे मैंने जिंदगी की उन चुनौतियों का सामना करने के लिए इनका प्रयोग किया जो आध्यात्मिक चुस्ती के मेरे सफर में मेरे इम्तिहान की तरह थीं।
अध्याय में दिए गए अभ्यास और उपायों के प्रयोग से अपने आध्यात्मिक सफर की शुरूआत करें। इस तहत कुछ समय आगे दिए गए निर्देशों के लिए दीजिए—

1.अपने पास एक डायरी रखिए और दिन में कोई समय तय करिए जब आप पिछले 24 घंटे की अपनी दिनचर्या के बारे में इस डायरी में लिखेंगे और पूरी सजगता के साथ पढ़ेंगे। दिन का कोई भी समय, चाहे वह सुबह का हो या शाम का, काम के बाद का समय हो या लंच के बाद का लोकल समय ऐसा हो जब आप अधिक से अधिक एकाग्र हो सकें। इसमें सब कुछ लिखिए, जो आप सोच रहे हैं, पिछले 24 घंटे के अपने अनुभव, विचार, इच्छाएं आदि सब कुछ। इस तरह आप अपने दिमाग को साफ कर पुस्तक के अध्यायों में दिए गए व्यायाम के लिए तैयार करते हैं। पुस्तक में दिए गए सभी व्यायामों का रिकॉर्ड अपनी डायरी में लिखिए। प्रार्थना और अभिकथन को और अधिक प्रभावी व परिपक्व करने की युक्ति जिस अध्याय में दी गई है, उसके दौरान इन्हें भी डायरी में रिकॉर्ड कीजिए। ये प्रार्थनाएं आपकी आध्यात्मिक जीवनचर्या की शुरूआत हैं।

2. हर अध्याय के लिए एक समय सीमा तय करें (मेरी सलाह मानें तो एक सप्ताह की समय सीमा अच्छी रहेगी) और उसमें दिए गए व्यायाम करें। इस तरह आप इन व्यायामों से परिचित वह सहज हो सकेंगे व इन्हें आध्यात्मिक चुस्ती के अपने दैनिक अभ्यासों में शामिल कर सकेंगे। कुछ अध्यायों में एक से अधिक व्यायाम दिए हुए हैं। सही यही रहेगा कि जब तक उसमें दिए गए व्यायाम पूरे नहीं हो जाते तब तक आगे के अध्याय की ओर नहीं बढ़ना ही समझदारी है। कुछ व्यायाम जो एक ही बैठक में पूरे करने हैं, उन्हें मनचाहा परिणाम पाने के लिए परिवर्तित व और अधिक स्पष्ट भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मास्टर प्लान और प्राथमिकता चक्र जब तक आपको सर्वश्रेष्ठ परिणाम नहीं देते तब तक उनका पुनर्गठन, संपादन और पुनर्विचार हो सकता है। यदि आप कुछ समय के लिए व्यस्त हैं या शहर से बाहर हैं तो जितनी जल्दी हो सके अपने अभ्यास पर लौट आएं लेकिन कुछ दिन छूट जाने के लिए अपने को दोष न दें। हां अपने व अपने विकास के लिए समय निकालने के अपने संकल्प का सम्मान जरूर करें। यह संकल्प ही आपके विकास की कुंजी है।

3. प्रत्येक अध्याय में दूसरी किताबें व टेप आदि की भी अनुशंसा की जाती है। अध्याय के आखिर में संदर्भ सूचि भी दी गई है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको कुछ और जानकारी की जरूरत है तो उसे इनसे हासिल कीजिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। अपनी डायरी में उन पुस्तकों व संदर्भों के बारे में लिखिए जो आपको लगता है कि महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आप नोटिस करेंगे कि कुछ टॉपिक आपको आकर्षित कर रहे हैं। इससे आपको अपनी सहजबुद्धि पर विश्वास होने लगेगा और यह विश्वास आपको अपनी जिंदगी के दूसरे क्षेत्रों में काफी लाभ पहुंचाएगा। आपने ध्यान दिया होगा कि किसी खास समय पर क्या कहना है या क्या नहीं कहना है, यह आप जान लेते हैं या फिर आप जानते हैं कि अपने दिन को किस तरह से बिताया जाए। जो कुछ आप कहना या करना चाहते हैं उसके प्रति सजग रहना आपकी जिंदगी के कई पहलुओं पर असर डालता है।

4. जब आप किताब के अंत पर पहुंच जाएं तो उन टैक्नीक और अभ्यास का चुनाव कीजिए जो आपके लिए सर्वाधिक लाभकारी हों। उन टैक्नीक को अपनी दिनचर्या में शामिल करें जो आपको असर देती हों। जैसे-जैसे आप अपने में परिवर्तन व विकास महसूस करने लगें उन टैक्नीक में भी परिवर्तन करते चलें। कई बार हम किसी एक का चुनाव करते हैं और कुछ देर बाद हमें दूसरी टैक्नीक उससे ज्यादा असरकारी लगने लगती है। याद रखिए कि आध्यात्मिक चुस्ती और विकास की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है। सजग रहें कि अपका अध्ययन और अभ्यास आपको अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लायक बनाता रहे।
स्प्रिचुअल फिटनेस के सफर की शुरूआत
प्यार का परिणाम सेवा है, जो दया और
करुणा के रूप में हमारे कर्म में विद्यामान
रहती है। यह भावना किसी धर्म से जुड़ी
नहीं होती है। यह तो ईश्वर के प्रति
हमारा प्यार है और यही सबसे महत्त्वपूर्ण
चीज है क्योंकि ईश्वर ने हम सबको
प्यार बांटने और प्यार पाने के लिए ही
पैदा किया है।


-मदर टेरेसा, फॉर द लव ऑफ गॉड


इस अध्याय में हम जानेंगे


अध्यात्म के सफर पर जाने का फैसला
स्प्रिचुअल फिटनेस के जरिए राहत भरी जिंदगी पाने का संकल्प।
अपने जीवन में धर्म को कब, कहां और कैसे रखने का फैसला।
अपनी मौजूदा आध्यात्मिक जिंदगी का आकलन
रोजाना अभ्यास की शुरआत
पुराने आध्यात्मिक अनुभवों का ब्रेन मैप तैयार करना
अपने जीवन के लिए मास्टर प्लान की खोज करना
मास्टर प्लान में भरोसा

प्राथमिकताएं


    दूसरों से, खुद से, अपने शरीर से, अपने काम से और अपनी चीजों से अपने संबंधों का आकलन करना।
मेरी यात्रा उस दिन शुरू हुई जब मुझे लगा कि मेरी आत्मा ने स्वस्थ होकर जैसे हजारों मील दूर किसी को छू लिया है। यहीं से मेरी स्प्रिचुअल फिटनेस की शुरूआत हुई। 21 साल की उम्र तक आते-आते मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। शारीरिक और मानसिक रूप से लाचार बच्चों की एक स्पेशल एजुकेशन टीचर के रूप में यह मेरा पहला साल था। मेरे पास 15 बच्चे थे, जो अपनी अक्षमताएं दूर करने और स्कूली पढ़ाई को लेकर पूरी तरह मुझ पर निर्भर थे। किसी ने मुझसे नहीं कहा कि यह नहीं हो सकता और मैं भी ऐसा ही सोचती थी। मैंने इस चुनौती को स्वीकारा और तनाव की वास्तविकता को जानने में लग गयी। जब मेरे छात्रों में से एक की मां ने मुझे तनाव मुक्ति की क्लास ज्वॉइन करने की सलाह दी तो मैंने उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया वह उन कक्षाओं को लेकर काफी आश्वस्त थी। उसने बताया कि इन कक्षाओं ने उसकी जिंदगी ही बदल डाली है और मुझे भी वहां जाने से फायदा होगा। वह वहां अपने मानसिक रूप से लाचार बच्चे को समझने और उससे बेहतर तालमेल बिठाने के लिए गई थी।

मैं शनिवार सुबह जींस और स्वेटर पहने कॉफी पीते हुए तनाव दूर करने की तरकीब सीखने को तैयार थी, क्या हुआ वह दूसरी कहानी थी, जो ज्यादा मजेदार और आम जीवन से जुड़ी थी। सप्ताह की आखिर की दो कक्षाओं में यह कोर्स समाप्त हुआ। यह जॉन सिल्वा के काम पर आधारित था। सिल्वा जानते थे कि जब दिमाग शांत हो जाता तो दिमागी तरंगे आराम का संकेत देने लगती हैं। यह वह स्थिति होती है, जब हम अपनी क्षमताओं का बेहतरीन प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने पाया कि हम अपना प्रयोग एक रडार सिग्नल की तरह कर सकते हैं, जो सूचना को बाहर फेंकता और जमा करता है। आमतौर पर हमारे अन्तर्मन के द्वारा ऐसा करना संभव नहीं होता है।
सबसे पहले हम आधारभूत आराम पाने के तरीके सीखेंगे जैसे की सोते समय हम अपने दिमाग को कैसे अच्छे सपने देखने को कहें ताकि समस्याएं हल हो सकें। हम दिमाग के उस हिस्से का पता लगाते हैं जो खोई चीजों को वापस लौटाने में सहायता करता है और हम सीखेंगे कि कैसे अपने शरीर का तापमान बदलें।
बॉडी टेंप्रेचर एक्सरसाइज ठीक वैसी ही है जैसे एक मरीज के शरीर का तापमान बदलने के लिए उसे बायोफीडबैक दिया जाता है। बायोफीडबैक शरीर के तापमान या दिमागी तरंगों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देता है ताकि पता लग सके कि शरीर कब तनाव में है और कब आराम में।

दूसरे सप्ताहांत में हमने पौंधों, जंतुओं और चीज़ों के बारे में अपनी जागरुकता बढ़ाना सीखा ताकि हम उनके बारे में ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रार्थना कर सकें। हम उनकी समस्याओं को हल करने वाली जानकारियां जमा करते हैं ताकि उनके लिए प्रार्थना कर सकें और उन्हें ऊर्जा पहुँचा सकें। उनके लिए प्रभावी ढंग से प्रार्थना कैसे करें, अगर यही सीखने भर से उन्हें राहत नहीं मिलती तो बाद में हम अपनी आत्मानुभूति अपने शरीर के लिए भेजते हैं।

बेहतर कल्पना और जरूरत पड़ने पर दूसरों के इलाज करने के लिए हमने कंकाल तंत्र, पेशी तंत्र, श्वसन तंत्र और अंगों की संरचना चित्रों का अध्ययन किया। अपना ध्यान ईश्वर पर लगाकर हमने इलाज आरंभ किया। इसके पहले हमने खुद को एक माध्यम माना जिसकी सहायता से ईश्वर सामने वाले को राहत पहुंचा रहा हो। इसके बाद हम ऐसे जोड़ों में बंट गए जो आपस में एक दूसरे के लिए अनजान थे। मेरे साथ एक आदमी आया जो मुझसे उम्र में 20-21 साल बड़ा था। वह चाहता था कि मैं उसकी मां पर एक केस के रूप में काम करूं। उसने मुझे अपनी मां का केवल नाम, उम्र और जन्मस्थान बताया। मैं ध्यान में गई और उस वक्त वह मेरे दिमाग के पर्दे पर थी। रिसेल के छोटे घुंघराले बाल थे और रंग सफेद था। उसके पैरों की नसें साफ दिखाई दे रही थीं। उसका दिल बड़ा था। मुझे अहसास हुआ कि रिसेल का वजन उसके दिल और पैरों को लिए मुसीबत बन चुका है। साथ ही मैंने उसके फ्रिज को लॉक देखा। मैंने उसकी अच्छी सेहत की प्रार्थना की। जब मैं ध्यान से बाहर आई तब मुझे रिसेल के पुत्र से मालूम हुआ कि जो भी मैंने देखा वह सही था। यहां तक कि उसने अपनी मां से कह रखा था कि वह ज्यादा खाने से बचने के लिए रेफ्रिजरेटर बंद रखे। मुझे मालूम हुआ कि हमारा अंतर्मन हमारे शरीर की तरह स्थिर नहीं है, वह कहीं भी घूमने के लिए आजाद है। हम अपने को दूसरों के इलाज करने और अच्छे कामों में लगा सकते हैं।

मुझ पर जिंदगी बदलने वाले उस लम्हे का इतना असर पड़ा कि मैं ईश्वर की मौजूदगी को एक नए तरीके से महसूस करने लगी। यहीं से मेरे आध्यात्मिक आनन्द का रास्ता खुला। तब मैंने यह जानना शुरू किया कि किस तरह मैं अपने भरोसे के दायरे को बदल सकती हूं, पुराने घावों को ठीक कर सकती हूं और दूसरों को ऐसा करने में मदद कर सकती हूं। मुझे उम्मीद है कि आप भी मेरे साथ उस सफर पर आएंगे जिसमें हमने ईश्वर के करीब पहुंचने के रास्ते खोजे हैं।
 

 

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