हास्य-व्यंग्य >> लूटनीति मंथन करि लूटनीति मंथन करिकाका हाथरसी
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इस पुस्तक में, काकाजी ने दोहों के माध्यम से आज की राजनीति तथा सामान्य जीवन में व्याप्त आचरण की अशुद्धता पर जमकर चोट की है। ये दोहे काकाजी की सशक्त लेखनी और शैली की प्रभावात्मक का पुष्ट प्रमाण हैं।
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