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मासूम लाली और मक्कार भेडिया

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4771
आईएसबीएन :81-310-0381-7

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बच्चों के लिए रोचक एवं चटपटी कहानियाँ....

Masum Lali Aur Makkar Bhediya -A Hindi Book by A.H.W. Sawan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मासूम लाली और मक्कार भेड़िया

घने जंगल के एक छोर पर बने अपने घर में लाली नाम की एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी।
‘‘लाली, तुम्हें पता है तुम्हारी नानी बीमार हैं ?’’ मां ने एक दिन लाली से कहा, ‘‘ जाओ उनकी खोज-खबर ले आओ, और यह टोकरी उनको दे आना। इसमें सूप, केक, कुछ बिस्कुट व फल हैं। इनसे उनको जल्दी अच्छा होने में मदद मिलेगी।’’
तब लाली ने अपना लाल लबादा व सिर पर लाल कनटोपी पहनी, जो उसकी नानी ने पिछले क्रिसमस पर उसके लिए बनाई थी। उसके जूते भी लाल थे। वह प्रायः हर समय ही पहने रहती थी अपना लाल पहरावा, इसीलिए उसका नाम ही लाली पड़ गया था।

जैसे ही लाली टोकरी लेकर चलने को हुई, मां ने पुकारकर कहा, ‘‘अंधेरा होने से पहले आ जाना, बेटी। जंगल बहुत खतरों से भरा है, और याद रखना, किसी अजनबी से बात न करना।’’
लाली ने सिर हिलाकर हामी भरी वह पहले कभी नानी के घर नहीं गई थी, जो कि घनें जंगल के बीच था। वह मस्ती में उछलती और टोकरी झुलाती हुई बढ़ी जा रही थी।
अभी वह लगभग आधा ही रास्ता तय कर पाई थी कि एक खुरदरी सी आवाज उसके कानों में पड़ी, ‘‘कहां जा रही हो लाली ?’’


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