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सनकी राजा का अनोखा सूट

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4782
आईएसबीएन :81-310-0205-5

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बच्चों के विश्व प्रसिद्ध परी- कथाएँ प्रस्तुत हैं...

Sanaki Raja Ka Anokha Soot A Hindi Book A.W.H. Sawan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सनकी राजा का अनोखा सूट

बहुत पुरानी बात है...फ्रांस के एक राज्य के सनकी राजा की कहानी...
‘‘महाराज को बताना ही होगा !’’ कोषाध्यक्ष चीखा, ‘‘राजकोष में फूटी कौड़ी नहीं बची है। उन्होंने सारा धन अपने वस्त्रों पर फूंक डाला है।’’

परंतु द्वारपाल ने कोषाध्यक्ष को राजा के कक्ष में नहीं जाने दिया। वह बोला, ‘महामहिम, धृष्टता के लिए क्षमा चाहता हूं। महाराज का आदेश किसी को अंदर न आने देने का है। ड्रेसिंग रूम में हैं न..इसलिए।’’

तभी ‘भड़ाक’ से दरवाजा खुला और राजा नजर आया, ‘‘मैंने कहा न कि मैं किसी से नहीं मिल सकता। मेरे पास पहनने के लिए ढंग का लिबास ही नहीं है। अहा ! कौन आया है ? कोषाध्यक्ष ! सुनो, जनता पर और टैक्स लगाओ। सारी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ा दो। मुझे और सूट बनवाने हैं।’’

‘‘महाराज ! आपके पास पहले ही अनगिनत लिबास और सूट हैं। टैक्स बढ़ाना संभव नहीं है। जनता और टैक्स का बोझ वहन नहीं कर सकती, ‘‘कोषाध्यक्ष ने प्रतिरोध किया।
राजा की त्योरियां चढ़ गईं, ‘‘क्यों नहीं दे सकती जनता टैक्स ? मैं राजा हूं, जितना जी चाहे टैक्स वसूल करुंगा। तुम केवल मेरे आदेश का पालन करो, कोषाध्यक्ष।

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