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साईं बाबा की कथाएँ

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4794
आईएसबीएन :81-7508-486-3

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इस अमर चित्र कथा की कथाएँ साईं बाबा के भक्तों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित हैं

Sai Baba Ki Kathayein-A Hindi Book by Anant Pai

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

साईं बाबा की कथाएँ

किसी को निश्चित पता नहीं कि साईं बाबा का जन्म कब हुआ, उनके माता-पिता कौन थे और उनका असली नाम क्या था ? अचानक ही वे 1872 में एक दिन महाराष्ट्र में शिरडी नामक स्थान पर पधारे। उनकी वेशभूषा एक फकीर जैसी थी और एक टूटी-फूटी मस्जिद में रहते थे, किंतु वे किसी हिन्दू गुरु की बात करते थे जिन्हें वे ‘वेंकुशा’ कहते थे। उन्हें हिन्दू शास्त्रों की अच्छी जानकारी थी, किंतु साथ ही वे कुरान से भी उद्धरण देते थे। ‘साईं’ फारसी का शब्द है जिसका अर्थ है ‘साधु’ और ‘बाबा’ हिन्दी शब्द है जिसका अर्थ है ‘पिता’। उसके नाम के अनुरूप ही उनके शिष्य हिन्दू और मुसलमान दोनों ही थे। उन्हें धर्मपरिवर्तन पसंद नहीं था। उनका विश्वास था कि भगवान तक पहुँचने का अपना मार्ग चुनने को प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र है। उनकी मान्यताओं के विषय में जो भी जानकारी है वह उनके कार्यों पर आधारित है। वे कोई पंथ स्थापित करने के पक्ष में नहीं थे।

1998 में उनका देहान्त हुआ। अपने जीवनकाल में ही वे काफी प्रसिद्ध हो गये थे, और अब उनकी मृत्यु के पश्चात् तो शिरडी (जहाँ वे लगभग आधी शताब्दी तक रहे) तीर्थस्थल बन गया है, जहाँ हर वर्ष सैकड़ों भक्त जमा होते हैं।
इस अमर चित्र कथा की कथाएँ साईं बाबा के भक्तों द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित हैं।



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