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1857 का संग्राम

वि. स. वालिंबे

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 485
आईएसबीएन :81-237-3383-6

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1857 का संग्राम पुस्तक का कागजी संस्करण...

1857 Ka Sangram A Hindi Book by V. S. Valinbe - 1857 का संग्राम - वी एस वालिंबे

कागजी संस्करण

आक्रोश की उत्पत्ति

किसी दिन की शुरुआत ही कुछ ऐसी होती है कि होनी की अनहोनी और अनहोनी की होनी हो जाती है। सबकुछ कुछ अजीब और अद्भुद दिखने लगता है उस दिन विशेष का महत्व वाकई इतिहास में अजर अमर हो जाता है।
हिंदुस्तान के इतिहास में 10 मई 1857 का दिन ऐसा ही था, जो हमेशा याद रहेगा।

आजादी की लड़ाई का वह एक जोशीला दिन था। उस दिन के 24 घंटो में आजादी की पहली लड़ाई की बहादुरी का दर्शन हुआ। दिल्ली के पास मेरठ में उस दिन असंतोष की आग भड़क उठी। उस जन विद्रोह की आग गंगा-जमुना के सारे इलाके को लपेट में ले लिया।

मेरठ में जो घटित हुआ, वह अचानक नहीं हुआ था। वर्ष 1857 की शुरूआत में ही आगरा और अवध के इलाकों में लोग चमत्कारिक बेचैनी महसूस कर थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए इस वर्ष का महत्व विशेष रहा। इस कम्पनी की स्थापना सन् 1600 में हिन्दुस्तान और इंग्लैण्ड के बीच व्यापार बढ़ाने के उदेश्य से की गयी थी। शुरूआती दौर में कम्पनी ने सूरत, कलकत्ता आदि बंदरगाहों में अपने-माल गोदाम खोले।

बादशाह जहाँगीर की इजाजत से कंपनी के आयात-निर्यात कारोबार में जान आ गयी।

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