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प्रवासी लेखक >> मेरी वनिता

मेरी वनिता

अंजू बाला

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4882
आईएसबीएन :81 90 327 1 1

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मस्तिष्क को उद्वेलित करती एक हृदयस्पर्शी कहानी।

Meri Vanita - A hindi Book by Anju Bala

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

हम स्नान करते हैं शारीरिक शुद्धता के लिए, सब खिड़कियाँ और दरवाजे बंद कर देते हैं। हाड़-माँस के इस शरीर को जो सबका एक जैसा है, छुपाते हैं। पूजा करते हैं तो आत्मिक स्वच्छता और शुद्धि के लिए। आत्मा जो अदृश्य है, जिसे कोई देख नहीं सकता, चीख-चिल्ला कर उसका शुद्धिकरण करते हैं। मै पूछती हूँ क्यों? क्या यह एक व्यक्तिगत प्रश्न नहीं? धर्म का अनावश्यक प्रदर्शन क्यों?

एक चित्रकार की कल्पना की सम्पूर्ण नारी-वनिता। सौन्दर्य, साहस व प्रेमभाव से परिपूर्ण, निश्छल, निष्कपट व जागरुक। जीवन के कटु सत्यों का अनुभव करती व समाज के तीव्र प्रहारों को झेलती एक ऐसी लड़की की भावपूर्ण कहानी है मेरी वनिता जो स्वयं में एक अध्यात्म, एक दर्शन को समेटे है। मस्तिष्क को उद्वेलित करती एक हृदयस्पर्शी कहानी।

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