कहानी संग्रह >> वसीयत वसीयतसुदर्शन वशिष्ठ
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अकसर आदमी अपनी वसीयत होशोहवास में नहीं लिखता, अलबत्ता हमेशा यह लिखा जाता है कि जो कुछ भी मैं लिख रहा हूँ, अपने पूरे होशोहवास में लिख रहा हूँ।
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