लेख-निबंध >> नजर-नजर नजरिया नजर-नजर नजरियाजसबीर चावला
|
8 पाठकों को प्रिय 39 पाठक हैं |
‘‘आँखों में जलन सीने में तूफान-सा क्यूँ है इस शहर में हर सख्श परेशान-सा क्यूँ है।’’ आज यह बात किसी एक आदमी किसी एक शहर की नहीं।
|
लोगों की राय
No reviews for this book